नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लगभग 10 माह बाद रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को देश का अगला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) नियुक्त किया है। वह भारत सरकार के मिलिट्री ऑफ अफेयर्स (Military of Affairs )के सचिव का भी पद संभालेंगे। केंद्र सरकार ने अनिल चौहान की नियुक्ति के बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी है। चौहान 30 सितंबर को अपना पद भार संभालेंगे। देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत के बाद से सैन्य बलों के प्रमुख का यह पद खाली था।
केंद्र सरकार ने खाली पड़े इस पद पर नियुक्ति
देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत का पिछले साल 08 दिसंबर को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन होने के बाद केंद्र सरकार ने खाली पड़े इस पद पर नियुक्ति के लिए रक्षा बलों के नियमों में बड़ा बदलाव किया था। रक्षा मंत्रालय की( Defence Sector) अधिसूचना में कहा गया था कि 62 वर्ष से कम आयु का कोई भी सेवारत या सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल और वाइस एडमिरल चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के पद के लिए पात्र होंगे। इसीलिए नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार सेवारत और सेवानिवृत्त, दोनों तरह के सैन्य अधिकारियों के नाम पर विचार कर रही थी।
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के नाम पर मुहर लगा दी
पिछले साल दिसंबर में पूर्व CDS जनरल बिपिन रावत के हवाई दुर्घटना में निधन के बाद 10 माह तक चले मंथन के बाद आखिरकार आज देश को दूसरा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) मिला गया। केंद्र सरकार ने सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के नाम पर मुहर लगा दी। वह सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। सीडीएस की नियुक्ति सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के तौर पर होती है, जो वर्तमान में अतिरिक्त सचिव रैंक के तहत काम करता है। CDS एकीकृत डिफेंस स्टाफ का अध्यक्ष भी होता है। सरकार ने सीडीएस को रक्षा कार्यक्रमों में ‘ MAKE IN INDIA ‘ का प्रभारी भी बनाया है।
लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उत्तर पूर्व में कमान संभाली थी
लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ने सेना की उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी। बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उन्होंने उत्तर पूर्व में एक कोर की कमान संभाली। इसके बाद सितंबर, 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने और मई 2021 में सेवा से अपनी सेवानिवृत्ति तक पदभार संभाला। इससे पहले उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम किया था। सेना में उनकी विशिष्ट और शानदार सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।
आतंकवाद विरोधी अभियानों में व्यापक अनुभव था
सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में योगदान देना जारी रखा। सेना में लगभग 40 वर्षों से अधिक के करियर में उन्हें जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों में व्यापक अनुभव है। 18 मई, 1961 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन दिया गया था। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं।