MP BJP Candidates : Madhya Pradesh में अब तक भाजपा (BJP) ने जितनी भी सीटें घोषित की हैं, उसमें जातिगत आधार (Caste Based) पर कांग्रेस ने अब भाजपा को घेरने की तैयारी कर रही है।
हालांकि सियासी रूप से भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering) की पिच पर टिकटों का बंटवारा तो किया है, लेकिन मध्यप्रदेश में OBC की जनसंख्या के लिहाज से अभी सीटों का बैलेंस नहीं बना है।
230 सीटों में 136 सीटों पर भाजपा
सियासी जानकार मानते हैं कि मध्यप्रदेश में जिन 94 सीटों पर टिकट दिया जाना बाकी है, उनमें महज साठ सीटें ही ऐसी हैं, जिन पर अब कांग्रेस की ओर से सजाई जा रही फील्डिंग में भाजपा काउंटर (BJP Counter) कर सकती है। क्योंकि 94 में 34 सीटें तो आरक्षित कोटे की अभी बाकी हैं।
मध्यप्रदेश की 230 सीटों में 136 सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। भाजपा ने जो सीटें घोषित की हैं, उसमें 31 फ़ीसदी सीटें सवर्ण के कोटे में गई हैं, जिसमें 48 सीटें शामिल हैं, जबकि 40 सीटें OBC के हिस्से में गई हैं, जो कि अब तक के दिए गए टिकट में 29 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है।
30 सीटें आदिवासी समुदाय के हिस्से में
अब तक के दिए गए टिकटों में 22 फ़ीसदी टिकट यानी की 30 सीटें आदिवासी समुदाय के हिस्से में आई हैं। जबकि 13 फीसदी सीटें यानी 18 सीटें दलितों के हिस्से में आई हैं।
सियासी जानकारों का कहना है कि अब तक जितनी भी सीटें भाजपा ने घोषित की हैं, वह सोशल इंजीनियरिंग के लिहाज से तो ठीक हैं। लेकिन जिस आधार पर कांग्रेस सियासत को आगे बढ़ा रही है, उस लिहाज से यह भाजपा के लिए किसी न किसी स्तर पर ये विपरीत और सियासी रूप से असहज करने वाली परिस्थितियां भी पैदा कर रही हैं।
94 सीटों में 34 सीटें तो सुरक्षित श्रेणी की
राजनीतिक जानकार निर्मलकांत शर्मा (Nirmalkant Sharma) कहते हैं कि मध्यप्रदेश में अब सिर्फ 94 सीटों पर ही टिकट दिए जाने बाकी हैं। इन 94 सीटों में 34 सीटें तो सुरक्षित श्रेणी की हैं। फिर बचती हैं 60 सीटें।
अब इन 60 सीटों में ही भाजपा को अपने सियासी समीकरण और जातीय जनगणना (Political Equation and Caste Census) के आधार पर घेरे जाने वाले सवालों का जवाब देते हुए टिकटों का बंटवारा करने का दबाव है।
शर्मा कहते हैं कि वैसे तो भाजपा जिस तरीके से टिकटों का बंटवारा कर रही है, वह अपने परंपरागत वोट बैंक को साधते हुए ही कर रही है। उनका कहना है कि भाजपा का ठाकुर और ब्राह्मण वोट बैंक शुरुआत से ही रहा है।
भले ही वोट प्रतिशत में सवर्ण का अन्य जातीय समीकरणों के आधार पर मध्यप्रदेश में कम हो। लेकिन जो टिकट बंटवारा हुआ है, उसमें 48 सीटें ठाकुर, ब्राह्मण और जैन को दी गई हैं।
कांग्रेस की भाजपा को घेरने पूरी तैयारी
वहीं कांग्रेस भाजपा को घेरने की पूरी तैयारी कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस लगातार जातीय जनगणना (Caste Census) के बाद से इस मामले को न सिर्फ आगे बढ़ा रही है, बल्कि इन्हीं आधार पर टिकटों के बंटवारे और अपनी सियासत को धार देने की तैयारी में लगी है।
राजनीतिक जानकार दीपांकर चौधरी कहते हैं कि कांग्रेस ने जिस तरीके से जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया है, उससे मध्यप्रदेश में बची हुई 60 सीटों पर जातीयता के प्रतिशत के मुताबिक भाजपा पर टिकट देने का दबाव तो बना है।
लेकिन यही बात Congress के लिए भी लागू होनी तय है। वह कहते हैं अगर कांग्रेस अपने टिकटों का बंटवारा अपनी तैयार की गई सियासी रणनीति के मुताबिक करती है, तो निश्चित तौर पर मध्यप्रदेश में उसके लिए सियासी पिच आसान हो सकती है।
वह कहते हैं कि अगले कुछ दिनों में मध्यप्रदेश में कांग्रेस के टिकटों का बंटवारा हो जाएगा और बची हुई सीटों पर भी भाजपा अपने प्रत्याशी घोषित कर देगी। उसके बाद मध्यप्रदेश के सियासी समीकरणों में जातीयता (CASTEISMAND) के प्रतिशत के लिहाज से दिए गए टिकटों का आकलन और स्पष्ट हो सकेगा।
सवर्ण की 15 % आबादी मध्यप्रदेश में
सियासी जानकारों के मुताबिक तकरीबन 15 फीसदी आबादी मध्यप्रदेश में सवर्ण की हैं। जबकि अब तक दिए गए टिकटों के हिसाब से यह 31 प्रतिशत के करीब पहुंचता है।
मध्यप्रदेश में OBC की आबादी करीब 49 फ़ीसदी के करीब है। भाजपा की ओर से अब तक दिए गए टिकटों के लिहाज से 29 फ़ीसदी ही रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक दीपांकर चौधरी (Dipankar Chaudhary) कहते हैं कि यह जो 20 फ़ीसदी का गैप अभी ओबीसी के सीटों का है, इसलिए अब जो 60 सीटें मध्यप्रदेश में दी जानी हैं उनका जातीयता के आधार कैसे वितरण होगा यह देखा जाना जरूरी होगा। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग की पिच पर तो टिकटों का बंटवारा अपनी सियासी रणनीति के हिसाब से ही किया है।
लेकिन जिन मुद्दों पर कांग्रेस राजनीतिक पिच (Political Pitch) तैयार कर रही है उस लिहाज से भाजपा फिलहाल टिकट बंटवारे में बैक फुट पर नजर आ रही है। क्योंकि मध्यप्रदेश में अभी भी 49 फ़ीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले OBC समुदाय को महज 29 फ़ीसदी की टिकट मिले हैं। जबकि 15 फ़ीसदी हिस्सेदारी रखने वाले सवालों को 31 फ़ीसदी टिकट मिले हैं।