पालघर (महाराष्ट्र): पुलिस ने भारतीय नौसेना के नाविक सूरज कुमार एम. दुबे के बैंक और स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग खातों को खंगालना शुरू कर दिया है, जिनका कथित तौर पर चेन्नई में अपहरण किया गया और बाद में महाराष्ट्र के पालघर में जिंदा जला दिया गया।
पालघर पुलिस की दस टीमें इस हत्या की गुत्थी को सुलझाने में जुटी हुई हैं, वहीं चेन्नई में भी एक टीम हवाईअड्डे के आसपास से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण कर रही हैं, जहां से 27 वर्षीय नौसेना के जवान का 31 जनवरी को अपहरण कर लिया गया था।
पुलिस ने इससे पहले बताया था कि सूरज दुबे कोयम्बटूर में आइएनएस अग्रणी पर सीमैन के रूप में कार्यरत थे और शेयर बाजार में काफी रुचि रखते थे।
उन्होंने अपने पारिवारिक सदस्यों और दोस्तों से 23 लाख रुपये से अधिक का बड़ा कर्ज लिया था।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, हम उनके बैंक खातों और डीमैट खातों में प्रत्येक प्रविष्टि की जांच कर रहे हैं और हमने पाया है कि उन्होंने स्टॉक में काफी निवेश किया है।
पालघर पुलिस ने अप्रैल 2020 में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर (मॉब लिंचिंग) की गई हत्या के 10 महीने बाद अब इस बड़े मामले को एक चुनौती के रूप में लिया है।
पालघर में साधुओं की मौत के बाद काफी सियासी संग्राम हुआ था और प्रदेश में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार पर निशाना साधा था।
हत्याकांड की जांच के लिए 100 पुलिसकर्मियों को लगाया गया है और पालघर के पुलिस अधीक्षक दत्तात्रेय शिंदे व्यक्तिगत रूप से 100 सदस्यों की इस टीम की जांच को करीब से देख रहे हैं।
हाल के दिनों में किसी एक मामले के लिए इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी नहीं जुटे हैं।
एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि सबसे अधिक चौंकाने वाला पहलू यह है कि चेन्नई से 1,500 किलोमीटर की दूरी पर सुदूर जिले पालघर में आखिर नौसेना के जवान को कौन लेकर गया और उन्हें किस रास्ते से लेकर जाया गया।
अधिकारी ने सवाल उठाते हुए कहा, उन्हें आखिर यहां लाकर क्यों जलाया गया ?
अधिकारी ने कहा कि 30 जनवरी की रात को दुबे के पास 13 कॉल आने की बात पता चली है, जो अपहर्ताओं और हत्यारों को लेकर कुछ सुराग दे सकती है।
पालघर पुलिस के अलावा, यहां तक कि नौसेना पुलिस ने भी इस घटना की अपनी स्वतंत्र जांच शुरू कर दी है।
बता दें कि दुबे घर से छुट्टी बिताकर 31 जनवरी को ड्यूटी पर वापस लौटने के लिए निकले थे।
इस दौरान चेन्नई हवाईअड्डे के बाहर कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने उनका अपहरण कर लिया था।
इसके बाद सूरज को 1500 किलोमीटर दूर पालघर के जंगलों में लाया गया और पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया।
वह पांच फरवरी को जंगल में बुरी तरह से जली हुई हालत में मिले, जिसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने पुलिस को सतर्क कर दिया।
शुरुआत में उन्हें दहानू के एक निजी अस्पताल और फिर मुंबई के आईएनएचएस अश्विनी अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।