नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते अरुण मणिलाल गांधी (Arun Manilal Gandhi) की मंगलवार को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में लंबी बीमारी के बाद निधन (Death) हो गया। उनका अंतिम संस्कार कोल्हापुर में किया गया।
अपने दादा के नक्शे कदम पर चलते थे अरुण गांधी
बताते चलें अरुण गांधी का जन्म 14 अप्रैल 1934 को डरबन में मणिलाल गांधी और सुशीला मशरूवाला (Manilal Gandhi and Sushila Mashruwala) के घर हुआ था।
वह अपने दादा राष्ट्रपिता के ही नक्शे कदम पर चलते हुए उन्होंने लेखक और एक्टिविस्ट (Writer and Activist) के रूप में महाराष्ट्र के लोगों की सेवा की। उन्होंने अपने दादा-दादी से जुड़ी कई किताबों का लेखन भी किया।
खुद को शांति का पुजारी करते थे अरुण गांधी
उनके परिवार में उनके बेटे तुषार, बेटी अर्चना, चार पोते और पांच परपोते हैं। अरुण गांधी खुद को शांति का पुजारी कहते थे। उन्होंने बेथानी हेगेडस और इवान तुर्क (Bethany Hegedus and Evan Turk) के सचित्र ‘कस्तुरबा, द फॉरगॉटन वुमन’, ‘ग्रैंडफादर गांधी’, ‘द गिफ्ट ऑफ एंगर: एंड अदर लेसन फ्रॉम माई ग्रैंडफादर महात्मा गांधी’ जैसी किताबें लिखीं।
उन्होंने अपने दादा के पदचिन्हों पर चलते हुए शांति, सौहार्द की स्थापना के लिए गांधी वादी मूल्यों (Gandhian Values) का सदैव प्रचार किया। और आज वे इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए।