Makar Sankranti 2023 : मकर संक्रांति का त्योहार (Makar Sankranti Festival) कल 15 जनवरी रविवार को मनाया जाएगा।
अलग-अलग जगहों पर मकर संक्रांति को संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी जैसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है।
इस दिन किसी पवित्र नदी (River) में स्नान करने, सूर्य को अर्घ्य देने, पूजा करने, दान करने के साथ ही तिल, गुड़, रेवड़ी आदि का सेवन करने का बड़ा महत्व होता है।
इस दिन खिचड़ी (Khichri) का सेवन करना अनिवार्य माना जाता है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी पकाने, खाने और दान करने का भी महत्व है।
कहां से आई खिचड़ी खाने की परंपरा
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा बहुत ही पुरानी है। इससे जुड़ी कथा के अनुसार, अलाउद्दीन खिलजी और उसकी सेना के विरुद्ध बाबा गोरखनाथ (Baba Gorakhnath) और उनके शिष्यों ने भी खूब संघर्ष किया।
युद्ध के कारण योगी भोजन पकाकर खा नहीं पाते थे। इस कारण योगियों की शारीरिक शक्ति कमजोर होती जा रही थी। तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और हरी सब्जियों को मिलाकर एक व्यजंन तैयार किया, जिसे खिचड़ी का नाम दिया गया।
यह कम समय और कम मेहनत में बनकर तैयार हो गया और इसके सेवन से योगी शारीरिक रूप से ऊर्जावान भी रहते थे।
खिलजी (Khilji) जब भारत छोड़कर गए तो योगियों ने मकर संक्रांति के उत्सव में प्रसाद के रूप में खिचड़ी बनाई। इस कारण हर साल मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाई जाती है और बाबा गोरखनाथ को भोग लगाकर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
ग्रहों का प्रसाद होता है खिचड़ी
खिचड़ी कोई साधारण भोजन नहीं बल्कि इसे ग्रहों का प्रसाद भी कहा जाता है। दाल, चावल, घी, हल्दी और हरी सब्जियों के मिश्रण से बनने वाले खिचड़ी का संबंध ग्रहों से होता है, जिसका शुभ फल मिलता है।
खिचड़ी के चावल को चंद्रमा, नमक को शुक्र, हल्दी को गुरु, हरी सब्जियों को बुध और खिचड़ी के ताप को मंगल ग्रह का कारक माना गया है।
मकर संकांति पर बनी काली ऊड़द दाल की खिचड़ी को खाने और दान करने से सूर्य देव के साथ शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
रविवार को नहीं खाना चाहिए खिचड़ी
खिचड़ी का विशेष धार्मिक महत्व है और इसका संबंध ग्रहों से भी है। साथ ही स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी खिचड़ी सबसे अच्छा और सुपाच्य भोजन माना जाता है।
लेकिन रविवार के दिन खिचड़ी खाना शास्त्रानुकूल नहीं माना गया है। मान्यता है कि रविवार के दिन काली उड़द की दाल से बनी खिचड़ी का सेवन नहीं करना चाहिए।
क्योंकि काली उड़द की दाल और खिचड़ी शनि देव से संबंधित भोजन है। ज्योतिष के अनुसार रविवार के दिन शनि से संबंधित चीजों का सेवन करने से कुंडली में सूर्य कमजोर होता है।
रविवार को है मकर संक्रांति खिचड़ी खाना शुभ या अशुभ?
इस साल मकर संक्रांति रविवार के दिन पड़ रही है। मकर संक्रांति के दिन विशेषरूप से खिचड़ी का प्रसाद बनाया जाता है।
ऐसे में लोगों के बीच असमंजस की स्थिति है कि क्या रविवार (Sunday) का दिन होने से मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाना शुभ होगा? आपको बता दें कि रविवार के दिन मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाना शुभ रहेगा।
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और शनि का प्रतिकूल प्रभाव भी कम होता है। धार्मिक कथा के अनुसार, मकर संक्रांति पर सूर्यदेव अपनी नाराजगी दूर कर पुत्र शनि के घर उनसे मिलने जाते हैं।
इसलिए यदि आप उलझन में हैं कि क्या मकर संक्रांति के दिन रविवार को खिचड़ी खा सकते हैं या नहीं तो इस उलझन को निकाल दीजिए।
मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोग ग्रहण करने में किसी प्रकार का कोई दोष नहीं है। खिचड़ी को तो स्वयं ग्रहों का प्रसाद कहा जाता है। और शास्त्रों (Scriptures) में कहा गया है कि प्रसाद सभी स्थिति में ग्रहण करने योग्य होता है।