Mamata Banerjee On Goverment: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दो बिलों को मंजूरी दिए जाने के बाद सरकार पर जोरदार हमला बोला।
तृणमूल नेता ममता बनर्जी पहले से ही इस प्रस्ताव की मुखर आलोचक रही हैं। उन्होंने इसे संविधान के मूल ढांचे को नष्ट करने की साजिश कहा था। ममता ने इस संघ-विरोधी कदम (Anti-Union Measures) की निंदा की। उन्होंने इसे भारत के लोकतंत्र और संघीय ढांचे को कमजोर करने वाला बताया।
उन्होंने कहा, हमारे सांसद इस क्रूर कानून का पूरी ताकत से विरोध करेंगे।।। बंगाल कभी भी दिल्ली की तानाशाही सनक के आगे नहीं झुकेगा।
यह भारत के लोकतंत्र को निरंकुशता के चंगुल से बचाने के बारे में है! ममता बनर्जी का आज का तीखा हमला उनके एक साथ चुनाव कराने के विरोध को एक बार फिर स्पष्ट करने वाला है।
जनवरी में उन्होंने केंद्र द्वारा पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में गठित पैनल को पत्र लिखा था। इस पैनल में केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah भी सदस्य थे। ममता ने पत्र में अपनी चिंताओं से अवगत कराया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें सिद्धांत को लेकर बुनियादी वैचारिक कठिनाइयां हैं।
साल 2026 में विधानसभा चुनाव होंगे
उनकी ओर से उठाए गए मुद्दे थे – एक राष्ट्र शब्द का संवैधानिक और संरचनात्मक निहितार्थ क्या है, और संसदीय और विधानसभा चुनावों का समय, खासकर अगर मौजूदा चुनाव चक्रों में बड़ा अंतर हो तब? ममता बनर्जी के साथ उनके तमिलनाडु के समकक्ष द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के एमके स्टालिन ने भी एक राष्ट्र, एक चुनाव के प्रस्ताव की निंदा की और इसे लोकतंत्र विरोधी बताया।
बंगाल और तमिलनाडु में सरकारों के निर्धारित कार्यकाल के अनुसार साल 2026 में विधानसभा चुनाव होंगे। आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने भी अपनी बात रखी और एक साथ चुनाव कराने के बजाय देश के स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के बुनियादी ढांचे की मांगों पर राजनीतिक सहमति और ध्यान देने का आह्वान किया।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने BJP की गलत प्राथमिकताओं पर दुख जताते हुए कहा, इस देश को एक राष्ट्र, एक शिक्षा, एक राष्ट्र, एक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की जरूरत है।।। एक राष्ट्र, एक चुनाव की नहीं।