चाहे कोई कुछ भी कह ले, मणिपुर के CM एन बीरेन सिंह नहीं करेंगे रिजाइन, क्योंकि…

मणिपुर में हिंसा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन पश्चिम बंगाल में हिंसा ने भी तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य में लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया

News Aroma Media

इम्‍फाल: मणिपुर (Manipur) में 80 दिनों से अधिक समय तक चली मेइती-कुकी जातीय हिंसा,(Meitei-Kuki ethnic violence)  जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है, के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में फैलने के खतरे के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह (N. Biren Singh) अपने इस्तीफे की व्यापक मांग के बावजूद पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग

Congress और कई कुकी-ज़ो आदिवासी संगठनों सहित कई विपक्षी दल पूर्वोत्तर राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए मुख्यमंत्री के इस्तीफे और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) लगाने की मांग कर रहे हैं।

प्रतिमा भौमिक इस्तीफे की बात पर भड़की

सिंह के इस्तीफे की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक, जो पिछले साल के मणिपुर विधानसभा चुनावों के दौरान केंद्रीय पर्यवेक्षकों में से एक थीं, ने कहा कि उन्हें इस्तीफा क्यों देना चाहिए।

मणिपुर में हिंसा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन पश्चिम बंगाल में हिंसा ने भी तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य में लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया।

बंगाल में महिलाओं के खिलाफ…

भौमिक ने IANS को बताया, ”बंगाल में महिलाओं के खिलाफ हिंसा ने सभी हदें पार कर दीं। तृणमूल कांग्रेस निर्दोष लोगों की जीवन और संपत्तियों की रक्षा करने में विफल रही।”

“मैं इस तरह से नहीं सोच रहा हूं ”

जब मीडियाकर्मियों ने उनके इस्तीफे के बारे में पूछा, तो बीरेन सिंह ने कहा, “मैं इस तरह से नहीं सोच रहा हूं। मेरी प्राथमिकता राज्य में शांति लाना और सामान्य स्थिति बहाल करना है। हर समाज में उपद्रवी होते हैं लेकिन मैं उन्हें नहीं छोड़ूंगा और अंततः उन्हें उचित सजा मिलेगी।”

सत्यजीत सिंह का बयान

राजनीतिक टिप्पणीकार राजकुमार सत्यजीत सिंह ने कहा कि हालांकि सिंह के शीर्ष पद पर बने रहने से भाजपा की छवि और विश्वसनीयता प्रभावित हो रही है, लेकिन मणिपुर में भाजपा सरकार का नेतृत्व करने के लिए सिंह से बेहतर कोई विकल्‍प नहीं है।

BJP को मिली थी पूर्ण बहुमत

सत्यजीत सिंह ने IANS को बताया, “सिंह मेइती समुदाय से हैं, जो मणिपुर की चुनावी राजनीति पर हावी है। मेइती समुदाय के बीच उनकी लोकप्रियता लगभग निर्विवाद है।

उनके नेतृत्व में भाजपा पिछले साल फरवरी-मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में मणिपुर में पूर्ण बहुमत के साथ दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में लौटी।”

सिंह का इस्तीफा बनेगा BJP के लिए समस्या

उन्होंने कहा कि अगर सिंह ने इस्तीफा दिया तो भाजपा के लिए नई राजनीतिक समस्याएं पैदा होने की आशंका है।

मणिपुर की लगभग 30 लाख आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर घाटी क्षेत्रों में रहते हैं, जबकि जनजातीय नागा और कुकी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

बीरेन सिंह रह चुके BSF में

एक फुटबॉलर, बीरेन सिंह ने 2002 में राजनीति में आने से पहले कुछ समय के लिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) में काम किया था और फरवरी 2012 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री थे।

62 वर्षीय नेता ने 2016 में कांग्रेस छोड़ दी और 2017 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।

4 BJP विधायकों ने अप्रैल में सरकार छोड़ दी

मणिपुर में इस साल 3 मई को गैर आदिवासी मेइती और आदिवासी कुकी (Non Tribal Meitei and Tribal Kuki) के बीच जातीय हिंसा शुरू होने से पहले, 13 अप्रैल से 24 अप्रैल के बीच चार भाजपा विधायकों – थोकचोम राधेशम, करम श्याम, रघुमणि सिंह और पौनम ब्रोजेन सिंह – ने CM के खिलाफ नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार छोड़ दी।

चारों भाजपा विधायक क्रमशः मुख्यमंत्री के सलाहकार और मणिपुर राज्य पर्यटन विकास निगम, मणिपुर नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी और मणिपुर विकास सोसायटी के अध्यक्ष थे। चारों विधायकों ने दावा किया कि उन्हें अपने पद पर काम करने के लिए उचित जिम्मेदारी, धन और अधिकार नहीं दिए गए

विधायकों के बीच कोई नाराजगी नहीं

हालांकि, बीरेन सिंह ने दावा किया कि विधायकों के बीच कोई मतभेद या नाराजगी नहीं है।

इस मुद्दे पर 27 अप्रैल को इम्‍फाल में एक “अनिर्णायक” पार्टी बैठक में चर्चा की गई थी। बैठक में भाजपा के पूर्वोत्तर समन्वयक और राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ए. शारदा देवी उपस्थित थे

160 से अधिक लोगों ने जान गवाई है

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जे की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ (Tribal Solidarity March’) के बाद भड़की जातीय…