नई दिल्ली: मणिपुर हिंसा मामले (Manipur Violence Cases) में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने वहां हालात सामान्य करने के लिए केंद्र और मणिपुर सरकार की तरफ से उठाए जा रहे कदमों को रिकॉर्ड पर लिया।
कोर्ट ने राहत शिविरों (Relief Camps) में रह रहे लोगों को सुविधा और मेडिकल सहायता देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने केंद्र और मणिपुर सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी।
कोर्ट ने कहा कि ये मानवीय समस्या है। हमारी चिंता जानमाल के नुकसान को लेकर है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि राहत कैम्प में खाने और चिकित्सा सुविधाओं (Medical Facilities) के उचित इंतजाम किए जाएं। विस्थापित लोगों के पुनर्वास, धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
पीस मीटिंग बुलाई गईं
सुनवाई के दौरान मणिपुर सरकार ने बताया कि इस पर उचित कानूनी कदम उठाए जा रहे हैं। पर्याप्त सुरक्षा बलों की नियुक्ति भी की गई है। हालात सामान्य हो रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कोर्ट को बताया कि हालात सामान्य करने के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं।
कल और आज कर्फ्यू (Curfew) में ढील दी गई। कोई अप्रिय घटना इस दौरान नहीं हुई। 52 कंपनी CAF और 101 कंपनियां असम राइफल्स की तैनात की गई हैं। फ्लैग मार्च निकाला गया है। PC मीटिंग बुलाई गईं।
हाई कोर्ट ने 19 अप्रैल को राज्य सरकार को निर्देश दिया
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं। एक याचिका BJP विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई और दूसरी याचिका मणिपुर ट्राइबल फोरम ने दायर की है।
हाई कोर्ट ने 19 अप्रैल को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वो मैतई समुदाय (Meitei Community) को ST वर्ग में शामिल करने पर विचार करे। गंगमेई की याचिका में कहा गया है कि किसी जाति को ST में शामिल करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है न कि हाई कोर्ट के पास।
याचिका में कहा गया है कि मैतई समुदाय (Meitei Community) जनजाति नहीं है बल्कि वो एक संपन्न समुदाय है। वो SC या OBC में भले ही आ सकते हैं लेकिन ST में नहीं।
मणिपुर ट्राइबल फोरम की ओर से दाखिल दूसरी याचिका में मांग की गई
मणिपुर ट्राइबल फोरम (Manipur Tribal Forum) की ओर से दाखिल दूसरी याचिका में मांग की गई है कि CRPF कैंपों में भागकर गए मणिपुर के आदिवासी समुदाय के लोगों को वहां से निकाला जाए और उन्हें उनके घरों में सुरक्षित रूप ये पहुंचाया जाए।
याचिका में मांग की गई है कि राज्य में हुई हिंसा की जांच असम के पूर्व DGP हरेकृष्ण डेका (DGP Harekrishna Deka) के नेतृत्व में गठित SIT करे। इस SIT के कामों की मॉनिटरिंग मेघालय राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व चेयरमैन जस्टिस तिनलियानथांग Waifei करें ताकि आदिवासियों पर हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।