मानहानि केस में बढ़ी मनीष सिसोदिया की मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आपको परिणाम भुगतने होंगे

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने सोमवार को दिल्ली (Delhi) के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उनके खिलाफ असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (CM Himanta Biswa Sarma) द्वारा असम की स्थानीय अदालत में शुरू की गई मानहानि (Defamation) की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल (Sanjay Kishan Kaul) और अभय एस. ओका (Abhay S. Oka) की पीठ ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी (A.M. Singhvi) से कहा, यदि आप सार्वजनिक बहस को इस स्तर तक ले जाते हैं, तो आपको इसके परिणाम भुगतने होंगे।

देश किस समस्या का सामना कर रहा है, इस पर ध्यान दिए बिना आप इस तरह के बयान दे रहे हैं।

अदालत ने सिसोदिया को कोई राहत देने से किया इनकार

सिंघवी ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल ने कहीं नहीं कहा कि कोई पैसा लिया गया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने सिसोदिया को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए थी, तो शायद स्थिति कुछ और होती।

सिंघवी ने जोर देकर कहा कि याचिकाकर्ता ने कभी नहीं कहा कि कोई पैसा लिया गया।वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार असम के CM की तरफ से पेश हुए और असम के अतिरिक्त महाधिवक्ता नलिन कोहली राज्य सरकार के लिए पेश हुए।

पीठ द्वारा याचिका पर विचार करने में अपनी अनिच्छा दिखाने के बाद, सिसोदिया ने याचिका वापस ले ली। गुवाहाटी उच्च न्यायालय (Gauhati High Court) ने भी सिसोदिया द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर सरमा द्वारा दायर मानहानि के मामले को रद्द करने की सिसोदिया की याचिका को खारिज कर दिया था।

सिसोदिया के खिलाफ दायर किया गया था आपराधिक मानहानि का मामला

असम के मुख्यमंत्री ने कोविड महामारी की पहली लहर के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अधिकारियों को बाजार दर से अधिक दाम पर PPE किट की आपूर्ति के संबंध में भ्रष्टाचार के आधारहीन आरोप लगाने के लिए सिसोदिया के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था।

सिसोदिया ने दावा किया था कि 2020 में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सरमा ने अपनी पत्नी की फर्म को आपूर्ति के आदेश दिए थे। सरमा ने इन आरोपों का खंडन किया।