नई दिल्ली: Delhi की एक अदालत ने सोमवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की न्यायिक हिरासत 17 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी।
राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) के CBI जज एम.के. नागपाल ने आप नेता को 17 अप्रैल को अदालत में पेश करने का आदेश दिया।
केंद्रीय जांच एजेंसी (Central Investigation Agency) ने सिसोदिया की हिरासत बढ़ाने की मांग की थी क्योंकि जांच महत्वपूर्ण चरण में है।
कोर्ट ने 31 मार्च को पूर्व उपमुख्यमंत्री की जमानत याचिका (Petition) खारिज कर दी थी।
न्यायाधीश नागपाल ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि प्रथम ²ष्टया से सिसोदिया (Sisodia) को आपराधिक (Criminal) साजिश रचने वाला माना जा सकता है।
साउथ शराब लॉबी के हितों की रक्षा
उन्होंने देखा कि लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत का भुगतान उनके और आप सरकार (Government) में उनके अन्य सहयोगियों के लिए था।
लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत का भुगतान उनके और उनके GNCTD के अन्य सहयोगियों के लिए था और उपरोक्त में से 20-30 करोड़ रुपये सह-आरोपी विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली और अनुमोदक दिनेश अरोड़ा और बदले में, आबकारी नीति के कुछ प्रावधानों को साउथ शराब लॉबी के हितों की रक्षा और संरक्षण (Protection) के लिए और उक्त लॉबी (Lobby) को किकबैक का पुनर्भुगतान सुनिश्चित करने के लिए आवेदक द्वारा छेड़छाड़ और हेरफेर करने की अनुमति दी गई थी।
साउथ लॉबी के संपर्क में
आदेश में कहा गया है कि जांच के इस चरण में अदालत Sisodia को जमानत (Bail) पर रिहा करने के लिए इच्छुक नहीं है क्योंकि उनकी रिहाई से चल रही जांच पर प्रतिकूल प्रभाव (Adverse Effect) पड़ सकता है और प्रगति में भी गंभीर बाधा आएगी।
इसने कहा कि जांच एजेंसी (Investigative Agency) द्वारा अब तक एकत्र किए गए सबूतों से पता चलता है कि सह-आरोपी विजय नायर के माध्यम से आवेदक साउथ लॉबी (South Lobby) के संपर्क में था और उनके लिए एक अनुकूल नीति तैयार करना हर कीमत पर सुनिश्चित किया जा रहा था और पसंदीदा निर्माताओं के कुछ शराब ब्रांडों की बिक्री में एकाधिकार (Monopoly) प्राप्त करने के लिए एक कार्टेल (Cartel) बनाने की अनुमति दी गई थी और इसे नीति के बहुत ही उद्देश्यों के विरुद्ध करने की अनुमति दी गई थी।
सिसोदिया के खिलाफ लगाए गए आरोप
कोर्ट ने कहा, इस प्रकार, अभियोजन पक्ष (Prosecutors) द्वारा लगाए गए आरोपों और उनके समर्थन में एकत्र किए गए सबूतों के अनुसार, आवेदक को प्रथम ²ष्टया उक्त आपराधिक साजिश का सूत्रधार (Facilitator) माना जा सकता है।
इसने माना कि सिसोदिया के खिलाफ लगाए गए आरोप सीरियस (Serious) इन नेचर हैं और वह जमानत पर रिहा होने के लायक नहीं हैं क्योंकि उन्हें 26 फरवरी को ही CBI मामले में गिरफ्तार किया गया था और उनकी भूमिका की जांच अभी भी पूरी नहीं हुई है।
आर्थिक अपराधों को अंजाम
अदालत ने कहा कि इस मामले में सात अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट (Charge Sheet) दायर करना इस तरह के मामले में ज्यादा मायने नहीं रखता है, जहां बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित करने वाले कुछ आर्थिक अपराधों (Economic Offenses) को अंजाम देने की गहरी साजिश रची गई है।
इसमें कहा गया है कि CBI द्वारा अब तक एकत्र किए गए सबूतों से न केवल Sisodia की आपराधिक साजिश में सक्रिय भागीदारी का पता चलता है, बल्कि उनके द्वारा पीसी अधिनियम (PC Act) के कुछ महत्वपूर्ण अपराधों का भी प्रथम ²ष्टया पता चलता है।
पिछली सुनवाई के दौरान, Sisodia के एक वकील ने कहा था कि CBI द्वारा कुछ भी असाधारण नहीं कहा गया है, जिसके लिए हिरासत जारी रखने की आवश्यकता होगी।