Marital Rape : रेप या बलात्कार (Rape) शब्द सुनकर ही लोगों की रूह कांप उठती है। Rape यानी किसी लड़की के साथ बिना उसके मर्जी के जबरदस्ती शारीरिक संबंध (Physical Relationship) बनाना।
किसी लड़की के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ अगर कोई शख्स जोर-जबरदस्ती करता है और उसके साथ शारीरिक संबंध (Physical Relationship) बनाता है तो फिर उस शख्स पर धारा 375 के तरह रेप के संज्ञीन आरोप लगते हैं।
लेकिन बात अगर मैरिटल रेप (Marital rape) की हो तो कहानी बिल्कुल बदल जाती है। धारा के 375 के अपवाद 2 के तहत अगर पति अपनी पत्नी के साथ किसी भी हालात में शारीरिक संबंध बनाता है और पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा है तो वो इसमें शामिल नहीं होता।
यानी हमारे देश में फिलहाल मैरिटल रेप जैसा कोई शब्द ही नहीं है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इस पर चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। और इसे भारत में भी लागू करने के बारे में विचार किया जा रहा है। आज हम आपको इस Article में बताएंगे कि आखिर क्या होता है मैरिटल रेप और इसके लिए क्या सजा दी जाती है।
क्या होता है मैरिटल रेप?
अगर कोई शख्स शादीशुदा (Married) है, लेकिन वो अपनी पत्नी की मर्जी के बिना उसके साथ सेक्स कर रहा है, या फिर उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर कर रहा है तो इसे मैरिटल रेप कहते हैं।
यानी सीधे तौर पत्नी की मंजूरी के बिना उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना मैरिटल रेप है। हमारे देश में अब तक इस तरह के मामलों को अपराध के दायरे में नहीं रखा गया था। यानी पति-पत्नी के बीच बेडरूम के सीक्रेट (Bedroom Secrets) पूरी तरह से सीक्रेट है।
9 मई को मैरिटल रेप पर आ सकता है बड़ा फैसला
पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मामले लगातार सामने आए जब महिलाओं ने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।
ये शिकायत थी कि उनके साथ बेडरूम में उनकी मर्जी के बिना संबंध बनाया जाता है, लेकिन इसपर कोई कानून न होने की वजह से इसे कभी भी रेप की श्रेणी में नहीं रखा गया, लेकिन अब इस पर कानून बनाने को लेकर बहस शुरू हो चुकी है। Supreme Court में इस मामले पर 16 मार्च से सुनवाई चल रही है और आने वाले 9 मई को इसपर अहम फैसला आ सकता है।
मैरिटल रेप पर अलग अलग विचारधारा
हमारा समाज इस मांग को लेकर समाज दो पक्षों में बंटा हुआ है। एक पक्ष का मानना है कि पति पत्नी के बीच शारीरिक संबंध बनाना किसी भी हाल में अवैध नहीं हो सकता और इसलिए इसको अपराध (Crime) क श्रेणी में लागू करने का सवाल ही नहीं होता।
वहीं दूसरी तरफ इसकी मांग भी लंबे समय से उठ रही है। इस कानून को पक्ष में कई तरह की दलीलें हैं। लोगों का मानना है कि महिलाएं इस कानून के न होने की वजह से शारीरिक हिंसा (Physical Violence) की शिकार बनती हैं और वो इस मामले के खिलाफ शिकायत भी नहीं कर सकतीं।
32% महPलाओं ने दर्ज कराई है शिकायत
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NHFS-5) की रिपोर्ट के मुताबिक, हमारे देश में 32 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी शादी के बाद शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा (Emotional Violence) का अनुभव किया है।
जो लोग मैरिटल रेप कानून के पक्ष में हैं उनका माना है कि इस कानून के बनने के बाद इस तरह के Data में कमी आएगी। महिलाओं से जुड़े संगठन लंबे समय से इस पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।
पहले दिल्ली हाइकोर्ट (Delhi High Court) में इस मामले पर याचिका डाली गई थी। इस याचिका पर दो जजों की राय अलग-अलग थी जिस वजह से उन्होंने इस केस को सुप्रीम कोर्ट में चलाए जाने की मांग हुई।
पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) इस मामले पर सुनवाई करने को तैयार हो गया और इस साल मार्च से इस पर सुनवाई चल रही है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस PS नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला (J B Pardiwala) की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है।
77 देशों में अपराध है मैरिटल रेप
मैरिटल रेप (Marital rape) भारत में फिलहाल अपराध नहीं है, लेकिन दुनिया की कई बड़े देशों में इसे अपराध के दायरे में रखा गया है। दुनिया के 77 देशों में ऐसे कानून हैं जो मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार को क्राइम मानते हैं और इसके लिए सजा के प्रावधान हैं।
अमेरिका, ब्रिटेन समेत युरोप (Europe) के ज्यादातर देश, पोलेंड, दक्षिण अफ्रीका जैसे ज्यादातर बड़े देश मैरिटल रेप को अपराध मानते हैं। हालांकि 34 देश अभी भी ऐसे हैं जिन्होंने इसे अपराध के दायरे में शामिल नहीं किया है।
जिसमें भारत भी शामिल है। लेकिन 9 मई को Marital Rape पर बड़ा फैसला आने वाला है जिसके बाद हो सकता है कि भारत में भी Marital Rape को अपराध के दायरे में रखा जाए।