देवबंद : जमीयत उलमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अरशद मदनी (Syed Arshad Madani) ने कहा है कि सांप्रदायिक तनाव देश के हित में नहीं है।
ईद गाह रोड पर ‘मदनी मेमोरियल पब्लिक स्कूल’ (Madani Memorial Public School’) में जमीयत उलमा-ए-हिन्द के तत्वावधान में आयोजित मजलिस-ए-मुंतजिमा के सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश की आजादी से लेकर अब तक जो कुरबानी जमीयत उलमा-ए-हिन्द ने दी है वो किसी से ढकी छुपी नहीं है। आज देश में जो माहोल को खराब किया जा रहा है और सांप्रदायिक तनाव पैदा किया जा रहा है वो देश के हित में नहीं है।
मदनी ने कहा कि आज के हालात में फिरकापरस्त जहनियत के लोग जो नारे लगा रहे हैं, ऐसा करने वालों को हम अपने मुल्क का दुश्मन समझते हैं।
मुल्क अगर जिंदा रहेगा तो वह भाईचारे के साथ ही जिंदा रहेगा, वरना आज नहीं तो कल यह मुल्क बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने कहा आज की सूरतेहाल में अगर कोई गाड़ी दूसरी गाड़ी से जरा सी टकरा जाती है तो कत्ल हो जाते हैं। दुश्मनी इस दर्जे तक बढ़ जाना बहुत बुरा है। यह इंसानियत की तस्वीर नहीं है। यह वह सूरत है जो मुल्क को तबाही की तरफ ले जा रही है।
मौलाना मदनी ने कहा…
मौलाना मदनी ने भारत के विभाजन का जिक्र करते हुए कहा कि सांप्रदायिकता की वजह से हमारा देश एक बार टूट चुका है और अगर सांप्रदायिकता (Communalism) बढ़ेगी तो देश को और नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि भारत को सभी धर्मों के लोगों ने एकजुट होकर आजादी दिलाई है।
अकेला हिंदू अकेला मुस्लिम, सिख या ईसाई खड़ा होता तो वह मुल्क को आजाद नहीं करा पाता। यह सभी की एकजुटता से हुआ। फलस्तीन में हो रही बमबारी का कड़ा विरोध करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि फलस्तीन के नागरिक अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि इजराइल आक्रमण कर रहा है।
जमीयत-उलमा-ए-हिंद (Jamiat-Ulama-e-Hind) कोई राजनीतिक संगठन नहीं है, न हम उम्मीदवार खड़े करते हैं और न ही किसी पार्टी को चुनाव लड़ाते हैं। अगर यह गैर सियासी बुनियाद न होती तो जमीयत कबकी खत्म हो चुकी होती।