कोट्टायम (केरल): केरल की मेडिकल की छात्रा ग्रीश्मा रचेल थॉमस के लिए यूक्रेन के चेर्निवत्सि में बिताए पिछले चार साल पिछले एक सप्ताह तक बेहद सुखद थे।
यूरोपीय राष्ट्र में पिछले सप्ताह रूस के सैन्य हमले के बाद यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से में आम तौर पर शांत लेकिन इस जीवंत शहर में अचानक चिंता और भय के बादल छा गए।
उन्होंने बताया कि एटीएम और किराने की दुकानों के सामने लंबी कतारें लगने लगीं और चिंतित स्थानीय लोग सामान खरीदने लगे, क्योंकि उन्हें पता था कि बढ़ते तनाव के बीच अब कई दिनों तक घर में ही रहना होगा।
चेर्निवत्सि के बुकोविनियन स्टेट मेडिकल युनिवर्सिटी की चौथी वर्ष की छात्रा थॉमस ने कहा कि रूसी आक्रमण के बाद जब 25 फरवरी को सुबह वह और उनके दोस्त कुछ जरूरी सामान लेने बाहर निकले तो शहर का नजारा वैसा नहीं था, जैसा हुआ करता था।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ एटीएम से लेकर किराने की दुकानों तक के सामने लंबी कतारें लगी थीं। हमें पहले एटीएम से पैसे नहीं मिले उसके बाद हम दूसरे पर गए, क्योंकि हमें यात्रा करने के लिए पैसे चाहिए थे।’’
राज्य के कोट्टायम जिले के पुथुपल्ली की निवासी थॉमस उन 250 भारतीय छात्रों में से एक हैं, जो देश लौटने में सफल रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें नहीं पता था कि कहा जाएं, क्या करें। सौभाग्य से चेर्निवत्सि में हालात अन्य शहरों की तुलना में बेहतर थे। भारत भेजे जाने वाले 250 छात्रों की जो पहली सूची विश्वविद्यालय ने बनाई थी, उसमें ही मुझे जगह मिल गई।’’
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर से, उन्हें 25 फरवरी की दोपहर को विशेष रूप से व्यवस्थित बसों में रोमानिया से लगी सीमा तक ले जाएगा और वहां से हवाई अड्डे ले जाया गया।
उन्होंने बताया कि बसों पर भारतीय ध्वज लगे थे और पुलिस के वाहन साथ चल रहे थे, क्योंकि इसके बिना सीमा पार करना संभव नहीं था।
रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद भारत युद्धग्रस्त देश में फंसे अपने नागरिकों को 27 फरवरी से रोमानिया और हंगरी के रास्ते स्वदेश ला रहा है। रोमानिया और हंगरी यूक्रेन के पड़ोसी देश हैं। रविवार तक यूक्रेन में फंसे 82 छात्र केरल पहुंच चुके थे।