Doctor and Government Meeting Inconclusive: राज्य के स्वास्थ्य विभाग और जूनियर डॉक्टरों (Junior Doctors) के बीच लंबे समय से जारी गतिरोध का समाधान नहीं निकल सका।
बुधवार रात एक बजे तक नवान्न में लंबी बैठक के बाद भी डॉक्टरों की हड़ताल खत्म होने की कोई उम्मीद नहीं दिखी।
डॉक्टरों का कहना है कि उनकी सभी मांगों पर केवल मौखिक सहमति दी गई है। अब तक लिखित में कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। इससे वह निराश हैं।
बैठक के बाद स्वास्थ्य भवन के बाहर पत्रकारों से डॉक्टर रुमेलिका कुमार ने कहा, “हमारी सभी मांगों पर मुख्य सचिव ने सहमति जताई है, लेकिन वह बैठक के कार्यवृत्त पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं हुए। उन्होंने कुछ दिन में आदेश जारी करने का वादा किया।
साथ ही मांगों को E-mail के माध्यम से मांगा है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की ‘Live streaming’ की मांग पूरी तरह से सही साबित हुई, जिससे सब कुछ पारदर्शी हुआ। डॉक्टरों की निराशा इस बात से है कि दोनों पक्ष एकमत नहीं हो सके।
डॉक्टरों का कहना है कि मुख्य सचिव ने बैठक में अस्पतालों में सुरक्षा, थ्रेट कल्चर, अस्पतालों के बेड की केंद्रीय व्यवस्था, छात्रसंघ चुनाव और रेफरल सिस्टम जैसी कई महत्वपूर्ण मांगों को स्वीकार किया। मगर बैठक के बाद के कार्यवृत्त में इनका कोई उल्लेख नहीं किया गया।
जूनियर डॉक्टर अनिकेत महातो ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव की हटाने और अन्य दो मांगों को लेकर हमारी बैठक मुख्य सचिव के साथ हुई।
कई मुद्दों पर चर्चा हुई लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। हमें केवल मौखिक आश्वासन मिला। सरकार जब तक ठोस कार्रवाई नहीं करती तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
ये हैं मांगें
डॉक्टरों ने अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने, मेडिकल कॉलेजों में डर की राजनीति को समाप्त करने और छात्रों के लिए चुनाव आयोजित करने जैसी कई मांगें रखी हैं।
अस्पतालों में भर्ती व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए एक केंद्रीय ‘रेफरल सिस्टम’ (Referral system) होना चाहिए ताकि किसी भी समय खाली बिस्तरों की जानकारी उपलब्ध हो सके।
इसके अलावा, डॉक्टरों ने स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति और अस्पतालों के ढांचागत सुधार की भी मांग की है।
डॉक्टरों का यह भी कहना है कि मेडिकल कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव और डॉक्टरों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि अस्पतालों और कॉलेजों में लोकतांत्रिक माहौल बनाया जा सके।उल्लेखनीय है कि मंगलवार को Supreme Court ने डॉक्टरों की मांगों पर राज्य सरकार को तुरंत कदम उठाने के निर्देश दिए थे।