CAG Report Uttarakhand: वनीकरण की बजाय टैक्स भुगतान और गैर-जरूरी खर्चों में इस्तेमाल, 52 मामलों में DFO की मंजूरी नहीं ली गई
उत्तराखंड में वन संरक्षण और वनीकरण के लिए आवंटित CAMPA फंड के दुरुपयोग का खुलासा हुआ है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की 2022 की रिपोर्ट में पाया गया कि यह फंड वनीकरण से जुड़े कार्यों के बजाय टैक्स भुगतान और अन्य गैर-जरूरी खर्चों में इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं के कई गंभीर मामले उजागर हुए हैं।
CAMPA फंड का गलत इस्तेमाल
CAG की रिपोर्ट में पाया गया कि वन विभाग को मिलने वाला CAMPA फंड एक साल के भीतर खर्च किया जाना चाहिए, लेकिन 37 मामलों में इस फंड का उपयोग करने में 8 साल लगा दिए गए। रिपोर्ट के अनुसार, जीका प्रोजेक्ट को 56.97 लाख रुपये डायवर्ट किए गए, जबकि यह राशि इस उद्देश्य के लिए आवंटित नहीं थी।
बिना मंजूरी सोलर फेंसिंग पर खर्च
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि डीएफओ (डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) अल्मोड़ा ने बिना किसी आधिकारिक अनुमति के 13.51 लाख रुपये सोलर फेंसिंग पर खर्च किए। नियमों के अनुसार, ऐसे किसी भी बड़े खर्च से पहले उच्च अधिकारियों की मंजूरी आवश्यक होती है, लेकिन इस मामले में इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया।
DFO की मंजूरी के बिना 52 योजनाएं लागू
2017 से 2022 के बीच 52 मामलों में वनीकरण और वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी योजनाओं के लिए DFO की अनिवार्य मंजूरी नहीं ली गई। यह दर्शाता है कि उत्तराखंड में वन प्रबंधन की प्रक्रियाओं का पालन सही ढंग से नहीं हो रहा, जिससे सरकारी फंड का गलत उपयोग हुआ और वनीकरण परियोजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
वृक्षारोपण पर भी सवाल
CAG रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से 2022 के बीच किए गए वृक्षारोपण में सिर्फ 33% पौधे ही जीवित रह पाए, जबकि वन अनुसंधान संस्थान (FRI) के मानकों के अनुसार यह दर 60-65% होनी चाहिए। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि उत्तराखंड में वन विभाग की योजनाएं प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पा रही हैं।
कांग्रेस का सरकार पर हमला, जांच के आदेश
CAG की रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए इसे सार्वजनिक धन की बर्बादी करार दिया। वहीं, उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस मामले की जांच के आदेश दिए और कहा कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।