कोडरमा: मोदी सरकार की किसान व जनविरोधी तीन काला कृषि क़ानून के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर व देशभर मे चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में रविवार को प्रधानमंत्री मोदी जी के मन की बात का विरोध किया जायेगा।
यह निर्णय सीपीआई राज्य परिषद व जिप सदस्य महादेव राम की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई वामपंथी व प्रगतिशील संगठनों की बैठक में लिया गया।
गौरतलब है कि 27 दिसम्बर को प्रधानमंत्री मन की बात करेंगे। उस दिन संयुक्त किसान मोर्चा ने 11 बजे टीन-कनस्तर, थाली बजाकर प्रधानमंत्री की बात अनसुनी किये जाने का आह्वान किया है।
बैठक को माकपा राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय पासवान, भाकपा जिलामंत्री प्रकाश रजक, किसान सभा के असीम सरकार, सिविल सोसाइटी के संयोजक उदय द्विवेदी, चरणजीत सिंह, अकेला कुमार यादव, बसपा के जिलाध्यक्ष प्रकाश अम्बेडकर, आम आदमी पार्टी के नेता दामोदर यादव, राजेंद्र भुइयां, ईश्वरी राणा आदि शामिल हुए।
वक्ताओं ने कहा कि सरकार किसानों को झांसा देना चाहती है कि कृषि व्यापार को बिना शर्त कॉरपोरेटों के लिए खोल देने से व्यापक अखिल भारतीय मार्केटिंग के लिए पहुंच बनेगी और किसानों को बढ़े हुए दाम भी मिलेंगे।
जबकि पूरी कवायद अपने चहेते पूंजीपति मित्रों को अकूत लाभ के लिये की जा रही है, जिसका किसानों व आम जनता पर असहनीय बोझ बढेगा।
सरकार कानून के तहत किसानों को गारंटी क्यों नहीं दिलाना चाहती कि कोई भी कॉरपोरेट व्यापारी किसानों के उत्पादों को एमएसपी से कम दाम पर नहीं खरीद सकेंगे।
केंद्र सरकार काला कृषि कानून को वापस लेने के बजाय किसानों के आंदोलन को तोड़ने की साजिश कर रही है।
इन कृषि कानूनों से अनाज की जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा, जिससे महंगाई बढ़ेगी। काला क़ानून वापस होने तक किसानों का संघर्ष जारी रहेगा।