नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पारंपरिक बौद्ध साहित्य और धर्मग्रंथों के लिए भारत में एक पुस्तकालय के निर्माण का प्रस्ताव रखा।
प्रधानमंत्री मोदी ने छठे भारत-जापान संवाद सम्मेलन को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए यह घोषणा की।
प्रधानमंत्री ने पांच साल पहले जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की पहल के साथ शुरू होने वाले संवाद के लिए जापान सरकार को धन्यवाद देते हुए भगवान बुद्ध के आदशरें और विचारों को, खासकर युवाओं के बीच बढ़ावा देने के लिए इस मंच की जमकर सराहना की।
मोदी ने कहा, आज मैं सभी पारंपरिक बौद्ध साहित्यों व शास्त्रों के लिए एक पुस्तकालय की स्थापना करने का प्रस्ताव करता हूं।
हमें भारत में ऐसी एक सुविधा का निर्माण करने में खुशी होगी और इसके लिए हम उपयुक्त संसाधन प्रदान करेंगे।
उन्होंने कहा, इस पुस्तकालय में विभिन्न देशों के बौद्ध साहित्यों की डिजिटल प्रतियों को एकत्रित किया जाएगा और इनका रूपांतरण करने के बाद इन्हें सभी बौद्ध भिक्षुओं और विद्वानों के लिए आसानी से उपलब्ध कराया जा सकेगा।
यह पुस्तकालय न सिर्फ साहित्य का भंडार होगा बल्कि शोध और वार्ता का एक मंच भी होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, इसके शोध के दायरे में समकालीन चुनौतियों के खिलाफ कैसे बुद्ध के संदेश आधुनिक विश्व को राह दिखा सकते हैं, यह भी शामिल होगा।
समकालीन चुनौतियों के रूप में प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबी, जातिवाद, चरमपंथ, लैंगिक भेदभाव, जलवायु परिवर्तन सहित अन्य विषयों का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने सारनाथ के बारे में कहा कि यह स्थान प्रसिद्ध है, क्योंकि भगवान बुद्ध ने यहां आत्मज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश दिया था।
उन्होंने कहा कि संवाद ऐसा होना चाहिए जो हमारे ग्रह पर सकारात्मकता, एकता और करुणा की भावना को फैलाए।