UP Lok Sabha Seat: उत्तर प्रदेश (UP) की लगभग सभी लोकसभा सीटों (Lok Sabha Seat) पर BJP उम्मीदवारों (BJP Candidates) की जीत का आस मोदी (Modi) और योगी (Yogi) ही हैं।
इसके साथ ही यह महत्वपूर्ण बात जानना जरूरी है कि यहां दो ऐसी भी सीटें हैं,जहां मोदी-योगी अपने मन से टिकट नहीं तय कर सकते। इस बार भी नहीं कर सके हैं।
इसमें एक लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) की और दूसरी कैसरगंज लोकसभा सीट (Kaiserganj Lok Sabha seat) है, जहां मौजूदा सांसदों का टिकट काटने का साहस BJO आलाकमान भी नहीं कर सका। इसमें से एक खीरी सीट पर 13 और दूसरी कैसरगंज लोकसभा सीट पर 20 मई को मतदान होना है।
खीरी सीट पर अजय कुमार मिश्र का दबदबा
पहले बात खीरी सीट की, जहां BJP के शीर्ष नेतृत्व पर मौजूदा सांसद और प्रत्याशी बदलने का काफी दबाव था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस कारण लगातार दो बार से जीतकर केंद्र में मंत्री बने अजय कुमार मिश्र (Ajay Kumar Mishra) चौथी बार मैदान में हैं।
इस बार वे क्या तीसरी बार भी चुनाव जीतकर कीर्तिमान बनाएंगे? यह सवाल खीरी की राजनीति को मथ रहा है, लेकिन इससे बेफिक्र टेनी और उनके समर्थक केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों से चुनावी लाभ के प्रति आश्वस्त दिख रहे हैं।
दूसरी ओर विपक्षी दल जातीय धुव्रीकरण कर अपने पक्ष में समीकरण साधने की कोशिश कर रहे हैं, विशेषकर सपा-कांग्रेस गठबंधन। सपा प्रत्याशी के उत्कर्ष वर्मा ‘मधुर’ को सबसे बड़ा भरोसा अपनी बिरादरी (कुर्मी) के 18 प्रतिशत वोट पर है।
यहां जातीय गणित में 4.75 लाख OBC , 3.25 लाख मुस्लिम, 4.25 लाख दलित मतदाता हैं। 16 प्रतिशत ब्राह्मण हैं और सिख मतदाता भी ठीकठाक हैं।
OBC में कुर्मी बिरादरी के मतदाता ही इस सीट पर निर्णायक भूमिका में रहने वाले हैं। उधर, BSP 1989 से इस सीट से दिल्ली पहुंचने की राह देख रही है। BSP ने अमरोहा के रहने वाले अंशय सिंह कालरा को मौका दिया है।
वह पार्टी के कैडर वोट, युवाओं और हर उस शोषित वंचित मतदाताओं के बल पर मैदान में होने का दावा कर रहे हैं, जिन्हें सरकार ने अब तक हाशिए पर रखा।
कैसरगंज से BJP ने अपने बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट दिया, लेकिन वह इतना साहस नहीं जुटा सकी की बृजभूषण के परिवार के किसी सदस्य की जगह किसी दूसरे प्रत्याशी को मैदान में उतार कर जीत हासिल कर पाती। इसकारण उनके बेटे को ही टिकट थमा दिया।