नई दिल्ली : दक्षिण पश्चिम मॉनसून (South West Monsoon) ने अपने निर्धारित समय से एक सप्ताह की देरी के बाद गुरुवार को भारत में दस्तक दे दी है। मौसम विभाग ने मॉनसून के केरल आगमन की घोषणा की है।
मौसम विज्ञानियों ने इससे पहले कहा था कि चक्रवात ‘बिपरजॉय’ मॉनसून (Cyclone ‘Biparjoy’ Monsoon) को प्रभावित कर रहा है और केरल में इसका शुरुआत ‘मामूली’ होगी।
धीरे-धीरे बढ़ रहा है आगे
IMD ने गरुवार को एक बयान में कहा, ‘दक्षिण पश्चिम मॉनसून (‘South West Monsoon’) आज आठ जून को केरल पहुंच गया।’ बयान में कहा गया है, ‘मॉनसून दक्षिण अरब सागर के शेष हिस्सों और मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों तथा समूचे लक्षद्वीप क्षेत्र, केरल के अधिकतर क्षेत्र, दक्षिण तमिलनाडु के अधिकतर हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र के शेष हिस्सों, मन्नार की खाड़ी और दक्षिण पश्चिम, मध्य एवं उत्तर पूर्व बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों की ओर बढ़ रहा है।’
केरल में देरी से पहुंचा मॉनसून
दक्षिण पश्चिम Monsoon आम तौर पर केरल में एक जून तक पहुंच जाता है और सामान्यत: एक जून से करीब सात दिन पहले या बाद में यह पहुंचता है।
मई के मध्य में IMD ने कहा था कि मॉनसून केरल में चार जून के आसपास पहुंच सकता है। निजी मौसम पूर्वानुमान केंद्र ‘स्काईमेट’ (Skymate) ने केरल में सात जून को मॉनसून के आगमन का अनुमान जताया था और कहा था कि मॉनसून सात जून से तीन दिन आगे पीछे आ सकता है।
IMD के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 150 वर्षों में केरल में मॉनसून (Monsoon in Kerala) की शुरुआत की तारीख अलग-अलग रही है, जो 1918 में समय से काफी पहले 11 मई को और 1972 में सबसे देरी से 18 जून को आया था।
अलनीनो का होगा बड़ा असर?
IMD ने पहले कहा था कि ‘अलनीनो’ की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम (Monsoon Season) में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है।
उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य या उससे कम बारिश होने की उम्मीद है। पूर्व और उत्तर पूर्व, मध्य और दक्षिण प्रायद्वीप में इस दौरान औसत की 94 से 106 प्रतिशत सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है।
Monsoon की अवधि के दौरान औसत के 90 प्रतिशत से कम बारिश को ‘वर्षा में कमी’ (‘Rain deficit’) माना जाता है, 90 फीसदी से 95 फीसदी के बीच बारिश को ‘सामान्य से कम वर्षा’, 105 फीसदी से 110 फीसदी के बीच होने वाली बारिश को ‘सामान्य से अधिक वर्षा’ और 100 फीसदी से ज्यादा होने वाली बारिश को ‘अत्यधिक वर्षा’ माना जाता है।