नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने शनिवार को एलआईसी आईपीओ के आंकड़ों से जुड़ी उन खबरों को महज ‘कयास’ बताकर खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया है कि वर्ष 2021 में कोविड से मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से बहुत अधिक हो सकती हैं।
देश को वर्ष 2021 में अप्रैल और मई के दौरान महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर का सामना करना पड़ा था।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि देश में कोविड-19 से हुई मौत के मामले दर्ज करने के लिए पंचायत, जिला और राज्य स्तर पर एक पारदर्शी और प्रभावी तंत्र है। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि मौत के मामले दर्ज किए जाने की निगरानी भी की जाती है।
बयान में कहा गया कि एलआईसी द्वारा जारी किए जाने वाले प्रस्तावित आईपीओ से संबंधित मीडिया में आई खबरों में बीमाकर्ता द्वारा तय की गई नीतियों और दावों के विवरण दिये हैं, ताकि कयास आधारित और पक्षपातपूर्ण व्याख्या की जा सके।
बयान के अनुसार इस पक्षपातपूर्ण व्याख्या का मकसद यह दिखाना है कि कोविड से मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से अधिक हो सकती है।
बयान में कहा गया, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि रिपोर्ट बेबुनियाद और अटकलों पर आधारित है।’’
बयान के मुताबिक एलआईसी द्वारा निपटाए गए दावों में सभी कारणों से होने वाली मौतें शामिल थीं, लेकिन मीडिया रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि कोविड से हुई मौतों को कम करके आंका गया था।
इस तरह की त्रुटिपूर्ण व्याख्या तथ्यों पर आधारित नहीं होती और लेखक के पूर्वाग्रह को उजागर करती है।
बयान के मुताबिक सरकार ने पारदर्शी तरीके से कोविड मौतों को दर्ज करने के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त वर्गीकरण को अपनाया ताकि पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सके।
यह भी बताया कि इसके तहत राज्यों द्वारा स्वतंत्र रूप से दर्ज किए गए कोविड से मौत के आंकड़ों को केंद्र सरकार द्वारा समग्र रूप से मौत के आंकड़ों की सूची तैयार की गई।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने समय-समय पर राज्यों को अपने मृत्यु के आंकड़ों को अद्यतन करने के लिए प्रोत्साहित किया है ताकि महामारी की असल तस्वीर दिखती रहे।
केंद्र सरकार के मुताबिक देश में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) और नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) की व्यवस्था महामारी के पहले से है।
यह भी बताया कि देश में मौतों के पंजीकरण को कानूनी ताकत प्राप्त है, यह पंजीकरण जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम (आरबीडी अधिनियम, 1969) के तहत राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त पदाधिकारियों द्वारा किया जाता है। इस प्रकार सीआरएस के आंकड़ों की अत्यधिक विश्वसनीयता है।