नई दिल्ली : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कहा कि कृषि कानूनों को लेकर विरोध केवल एक राज्य तक ही सीमित है और किसानों को उकसाया जा रहा है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान तोमर ने कहा मैं प्रतिपक्ष का धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होंने किसान आंदोलन पर चिंता की और आंदोलन के लिए सरकार को जो कोसना आवश्यक था उसमें भी कंजूसी नहीं की और कानूनों को जोर देकर काले कानून कहा।
मैं किसान यूनियन से 2 महीने तक पूछता रहा कि कानून में काला क्या है। कृषि मंत्री ने कहा कि भारत सरकार कानूनों में किसी भी संशोधन के लिए तैयार है इसके मायने ये नहीं लगाए जाने चाहिए कि कृषि कानूनों में कोई गलती है।
पूरे एक राज्य में लोग गलतफहमी का शिकार हैं। किसानों को इस बात के लिए बरगलाया गया है कि ये कानून आपकी जमीन ले जाएंगे। आपको बता दें कि जिस समय कृषि मंत्री राज्यसभा में बोल रहे थे उस समय विपक्ष के ज्यादातर सांसद मौजूद नहीं थे।
उन्होंने कहा किसान की आमदनी दोगुनी हो इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना के माध्यम से 6,000 रुपये का योगदान दिया।
आज हम ये कह सकते हैं कि दस करोड़ 75 लाख किसानों को 1,15,000 करोड़ रुपये डीबीटी से उनके अकाउंट में भेजने का काम किया है।
मनरेगा का जिक्र करते हुए तोमर ने कहा, ‘कुछ लोग मनरेगा को गड्ढों वाली योजना कहते थे। जब तक आपकी सरकार थी उसमें गड्ढे खोदने का ही काम होता था।
लेकिन मुझे ये कहते हुए प्रसन्नता और गर्व है कि इस योजना की शुरुआत आपने की लेकिन इसे परिमार्जित हमने किया।
सदन में चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि कई बार विपक्ष की तरफ से ये बात सामने आती है कि आप कहते हैं कि सब मोदी जी की सरकार ने किया है पिछली सरकारों ने तो कुछ भी नहीं किया।
मैं इस मामले में ये कहना चाहता हूं कि इस प्रकार का आरोप लगाना उचित नहीं है। कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सेंट्रल हॉल में अपने पहले भाषण में और 15 अगस्त में भी उन्होंने कहा था कि मेरे पूर्व जितनी भी सरकारे थी उन सबका योगदान देश के विकास में अपने-अपने समय पर रहा है।
तोमर ने कृषि के क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियों की विस्तार से चचार् करते हुए कहा कि देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है और अब कृषि को आय केन्द्रित किया गया है।
किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरु की गयी है। इसके तहत किसानों को सालाना छह हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
करीब दस करोड़ 75 लाख किसानों को यह सहायता दी गयी है। विपक्षी दलों के सदस्यों के इस योजना की राशि में कटौती करने के उत्तर में कृषि मंत्री ने कहा कि इसके लिए राशि की कमी नहीं होने दी जायेगी । देश में 14.5 करोड़ किसान होने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि उत्पादन और उत्पादकता बढाने के लिए आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराया जा रहा है और समय पर किसानों को बीज, उर्वरक और सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है ।
सूक्ष्म सिंचाई योजना का विस्तार किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं जिन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी का लाभ भी नहीं मिल पाता है ।
ऐसे किसानों की आय बढाने के लिए दस हजार नये किसान उत्पादक समूह एफपीओ का गठन किया जा रहा है । इस योजना पर पांच साल में 6850 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे ।