MURSHIDABAD VIOLENCE: मुर्शिदाबाद: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरोध में 10-12 अप्रैल को भड़की हिंसा के बाद अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। 11 अप्रैल से बंद पड़े स्कूल 21 अप्रैल, 2025 को फिर से खुल गए, जिससे बच्चों की पढ़ाई दोबारा शुरू हुई।
हालांकि, अभिभावकों ने हिंसा के कारण बच्चों की पढ़ाई पर पड़े असर और डर के माहौल पर दुख जताया। इस बीच, विशेष जांच दल (SIT) ने हिंसा में बांग्लादेशी आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के 35 आतंकियों की संलिप्तता का खुलासा किया है। अब तक 290 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 21 अप्रैल को होनी है।
मुर्शिदाबाद के सुती, धुलियान, समसेरगंज, और जंगीपुर जैसे इलाकों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गए थे। भीड़ ने घरों, दुकानों, और मंदिरों में तोड़फोड़ की, वाहनों को आग लगाई, और पीने के पानी में जहर मिलाने की घटनाएं सामने आईं। हिंसा में एक पिता-पुत्र और एक अन्य व्यक्ति सहित कम से कम तीन लोगों की मौत हुई, जबकि सैकड़ों लोग बेघर हो गए।
शमसेरगंज के जाफराबाद में 74 वर्षीय हरगोविंद दास और उनके 40 वर्षीय बेटे चंदन दास की उपद्रवियों ने धारदार हथियारों से हत्या कर दी।
स्थानीय दुकानदार हबीब-उर-रहमान ने कहा, “BSF और CRPF की तैनाती के बाद स्थिति सामान्य हो रही है। प्रशासन ने दुकानें खोलने और अनुशासन बनाए रखने को कहा है।” धुलियान के निवासी देव कुमार साहा ने बताया, “हिंसा के कारण स्कूल और ट्यूशन 10 दिन बंद रहे, जिससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई।”
SIT जांच और बांग्लादेशी कनेक्शन
पश्चिम बंगाल पुलिस ने मुर्शिदाबाद रेंज के उप महानिरीक्षक (DIG) की अगुआई में 9 सदस्यीय SIT का गठन किया है। जांच में खुलासा हुआ कि हिंसा में बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के 35 आतंकियों ने सीमा पार कर हिस्सा लिया। SIT ने हिंसा को सुनियोजित बताया और कहा कि स्थानीय असामाजिक तत्वों के साथ बाहरी ताकतों ने मिलकर अशांति फैलाई।
अब तक 290 लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें जाफराबाद हत्याकांड के दो आरोपी, कालू नदाव और दिलदार नदाव (भाई), शामिल हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई प्रारंभिक रिपोर्ट में बांग्लादेशी घुसपैठियों पर शक जताया गया है। न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को एक राजनीतिक दल के स्थानीय नेताओं का समर्थन प्राप्त था।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मुर्शिदाबाद हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। 21 अप्रैल को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जो वकील शशांक शेखर झा और विशाल तिवारी ने दायर की हैं।
याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में SIT गठन, हिंसा की निष्पक्ष जांच, और पश्चिम बंगाल सरकार से कानून-व्यवस्था की विफलता पर जवाब मांगने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रशासन की निष्क्रियता के कारण हिंसा भड़की और हिंदू समुदाय को चुन-छनकर निशाना बनाया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले 16 अप्रैल को वक्फ कानून और हिंसा पर सुनवाई के दौरान चिंता जताई थी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा, “हिंसा का इस्तेमाल दबाव बनाने के लिए नहीं हो सकता। यह बहुत व्यथित करने वाला है।” कोर्ट ने केंद्र से वक्फ कानून के प्रावधानों, खासकर ‘वक्फ बाय यूजर’ और पुरानी मस्जिदों के रजिस्ट्रेशन पर जवाब मांगा है।
स्कूल खुलने से राहत, अभिभावकों का दर्द
10 दिनों बाद स्कूल खुलने से अभिभावकों और बच्चों में राहत है, लेकिन हिंसा का खौफ बरकरार है। धुलियान के एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यहां पहले कभी ऐसी हिंसा नहीं हुई। अब स्थिति बेहतर है, लेकिन बच्चों को स्कूल भेजते समय डर लगता है।” अभिभावकों ने बताया कि स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा, और कई बच्चों में डर का माहौल है।