Shri Krishna Janmabhoomi-Shahi Idgah Dispute Case : मंगलवार को Supreme Court ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी गई।
हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी। मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के फैसले को चुनौती दी थी।
दरअसल, 1 अगस्त को हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने 18 याचिकाएं एक साथ सुनने का फैसला सुनाया था।
मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि हिंदू पक्ष के दाखिल सभी वाद सुनने योग्य ही नहीं हैं। लिहाजा इन्हें खारिज किया जाए। हिंदू पक्ष का कहना है कि सभी याचिकाएं एक ही स्वभाव की हैं। इस कारण सभी याचिकाएं सुनी जाए।
ढाई एकड़ में बनी शाही ईदगाह कोई मस्जिद नहीं है। वहां केवल सालभर में 2 बार नमाज पढ़ी जाती है। ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ का क्षेत्र भगवान कृष्ण का गर्भगृह है। सियासी षड्यंत्र के तहत ईदगाह का निर्माण कराया गया था।
प्रतिवादी के पास कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है। मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है। जबकि जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है।
60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं
बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड (Waqf Board) ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के वक्फ संपत्ति घोषित कर दी। भवन पुरातत्व विभाग से संरक्षित घोषित है। पुरातत्व विभाग (ASI) ने नजूल भूमि माना है। इसकारण इस वक्फ संपत्ति नहीं कह सकते।
मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें हैं कि समझौता 1968 का है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। मुकदमा सुनवाई लायक ही नहीं। Places of Worship Act 1991 के तहत मुकदमा आगे ले जाने के काबिल नहीं है।
15 अगस्त 1947 वाले नियम के तहत जो धार्मिक स्थल जैसा है वैसा रहे, उसकी प्रकृति नहीं बदल सकते। लिमिटेशन एक्ट, वक्फ अधिनियम के तहत इस मामले को देखा जाए। वक्फ ट्रिब्यूनल (Waqf Tribunal) में सुनवाई हो, यह सिविल कोर्ट में सुना जाने वाला मामला नहीं।