नई दिल्ली: पिछले एक साल में रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले सामान 20 फीसदी तक महंगे हुए। बाकी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने तो हमारा जीना पहले से ही मुहाल किया है।
असल में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने ही आपकी जेब पर डाका डाला है, क्योंकि कच्चे माल से आपके दरवाजे तक प्रोडक्ट पहुंचने तक का सफर काफी लंबा होता है।
इसी दौरान महंगे पेट्रोल-डीजल से सामान की लागत ज्यादा हो जाती है।
एक तरफ कच्चे तेल पर सरकारें करीब तीन गुना टैक्स वसूलती हैं तो दूसरी ओर बढ़ी हुई कीमतें ट्रांसपोर्टेशन की लागत बढ़ा देती हैं, जो सालभर में 11 फीसदी बढ़ी।
इसी लागत को वसूलने के लिए सामान बनाने वाली कंपनियां इसका बोझ आप पर डाल देती हैं।
इसका नतीजा यह रहा कि देश के रिटेल महंगाई को मापने वाला कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फरवरी 2021 में 5.03 फीसदी पर पहुंच गया, जो जनवरी में 4.06 फीसदी था।
कंपनियों ने बढ़ाए साबुन-तेल के दाम
अलग-अलग कंपनियों के सूत्रों से बातचीत में पता चला कि रोजमर्रा में इस्तेमाल किए जाने वाले सामान भी एक महीने में 10 फीसदी तक महंगे हुए हैं।
इसमें शैम्पू, साबुन, हैंडवॉश से लेकर क्रीम जैसे प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों में भी कहा गया है कि पर्सनल केयर 8 फीसदी तक महंगे हुए हैं।