नई दिल्ली: यदि आप इस घातक महामारी के दौरान पूरी फिट रहना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे अच्छे तेल का चुनाव करना बहुत जरूरी है।
चूंकि कोविड-19 एक इनफ्लेमेट्री डिसीज है और ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि हमें एंटी-इनफ्लेमेट्री डायट लेनी चाहिए और खाना पकाने में सही तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और मशहूर फिजीशियन- कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि ऐसे समय में सरसों के तेल का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा है।
इस तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैट्टी एसिड (एमयूएफए) भरपूर मात्रा में होता है, इसके अलावा इसमें बड़ी मात्रा में ओमेगा-3 फैट्टी एसिड और अल्फा-लिनोलेनिक एसिड भी होते हैं जो ऑक्सीडेटिव तनाव (ऑक्सीजन रिएक्टिव स्पेसीस के प्रोडक्शन और संचय में होने वाला असंतुलन) और सूजन को कम करते हैं।
पुरी ऑयल मिल्स लिमिटेड (पी मार्क मस्टर्ड ऑयल के निर्माता) की रिसर्च एंड डेवलपमेंट विंग मस्टर्ड रिसर्च प्रमोशन कंसोर्टियम (एमआरपीसी) की डायरेक्ट डॉ. प्रज्ञा गुप्ता कहती हैं, सरसों के तेल की जो कंपोजिशन है वह कार्डियोलॉजी की नजर से बहुत ही अच्छी है।
यही वजह है कि सारे डॉक्टर्स दिल की बीमारियों, उच्च रक्ताचाप और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने के लिए सरसों के तेल से भोजन पकाने की सलाह देते हैं।
कच्ची घानी सरसों का तेल अपनी शुद्धता, प्राकृतिक तत्वों से भरपूर होने, एक्स्ट्रा-वर्जिन, कोल्ड-प्रेस्ड होने के कारण स्वास्थ्य के लिए कई फायदे देता है।
हमारी कंपनी इस चमत्कारिक तेल को बनाने का काम 85 साल से कर रही है और ग्राहकों को शुद्ध, स्वास्थ्यवर्धक तेल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
फोर्टिस हार्ट एंड वैस्कुलर इंस्टीट्यूट गुरुग्राम, फोर्टिस हॉस्टिपटल वसंत कुंज के चेयरमेन और प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.टी.एस. क्लेर के मुताबिक सरसों के तेल के कई ऐसे फायदे हैं, जो अन्य तेलों से नहीं मिलते हैं।
वह कहते हैं, सभी खाद्य तेलों में सरसों के तेल को सेहत के लिए सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें संतृप्त फैट्टी एसिड की कम मात्रा और मोनोअनसैचुरेटेड फैट्टी एसिड और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट्टी एसिड की बहुत ज्यादा मात्रा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है।
इसके अलावा सरसों के तेल में पाया जाने वाला अल्फा-लिनोलेनिक एसिड खून में प्लेटलेट्स के इकट्ठा होने की प्रवृत्ति को कम करता है, इससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम हो जाता है।
कई क्लीनिकल स्टडीज में यह पाया गया है कि सरसों का तेल दिल की सेहत के लिए सबसे अच्छा होता है।
सरसों के तेल में एक फाइटोकेमिकल कंपाउंड होता है जिसे एलिल आइसोथियोसाइनेट (एआईटीसी) के रूप में जाना जाता है जो एंटी-इंफ्लेमेट्री होता है।
सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि यह इंफ्लेशन को कम करने और उसे घटाने में मदद करता है।
जठरांत्र के रास्ते (गेस्ट्रोइन्टेस्टिनल ट्रैक्ट) में होने वाली सूजन से लड़ने और उसे कम करने में सरसों का तेल बहुत लाभकारी है।
इस तेल का एक और दिलचस्प लाभ है जो महामारी के इस समय खासतौर पर प्रासंगिक हो जाता है। हाल ही में डॉ. अग्रवाल ने एक वेबिनार में कहा, कोविड-19 एक वसायुक्त वायरस है और सरसों का तेल मोटापा घटाने वाला तेल है।
एशियन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि सरसों के तेल का नियमित सेवन करने से शरीर का वजन कम हो सकता है, क्योंकि इससे आंतों में वसा कम इकट्ठा होती है और यह ग्लूकोज और लिपिड होमियोस्टेसिस में सुधार करता है।
नई दिल्ली के धर्मशाला नारायण सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमरेंद्र कुमार पांडेय कहते हैं, सरसों के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैट्टी एसिड (एमयूएफए) और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट्टी एसिड (पीयूएफए) बहुत ज्यादा होता है।
वे अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाने में मदद करते हैं और खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करते हैं।
इसके अलावा यह तेल कोरोनरी हार्ट डिसीज का खतरा कम करता है। साथ ही यह हृदय रोग और वजन कम करने में भी मदद करता है।
तेल के मामले में सबसे अहम बात है, उसका ट्रांस फैट जिसे डॉ. अग्रवाल किलर फैट कहते हैं। इसके कारण ही दिल की बीमारियां और स्ट्रोक होते हैं। सरसों के तेल में ट्रांस फैट नहीं होता है।
ट्रांस फैट का ज्यादा सेवन करने से शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है, जो बहुत ही हानिकारक होता है। यह उच्च रक्तचाप, धमनियों के सख्त होने (एथेरोस्क्लेरोसिस), दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है।