रांची: झारखंड के नाबार्ड कर्मचारियों ने मंगलवार को लंबित पेंशन सहित अन्य मांग को लेकर क्षेत्रीय कार्यालय के समक्ष धरना दिया।
संघ के महासचिव विजय के भोसले ने कहा कि 1981 में संसद में अधिनियम पारित कर भारतीय रिजर्व बैंक के तीन विभागों कृषि ऋण विभाग (एसीडीडी), ग्रामीण योजना एवं ऋण विभाग (आरपीसीडी) और कृषि पुनर्वित और विकास निगम (एआरडीसी) को मिलाकर नाबार्ड की स्थापना की गयी थी।
वर्ष 1982 में भारतीय रिजर्व बैंक के प्रबंधन ने भारतीय रिजर्व बैंक के कर्मचारियों को नये संगठन (नाबार्ड) में शामिल होने की अपील की।
साथ ही नये संस्थान में रिजर्व बैंक के समान वेतन, भत्ते और सेवानिवृति लाभों को संशोधित करने का वादा किया गया था।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड अधिनियम, 1981 की धारा 50 में इस संबंध में लिखित आश्वासन दिया गया था लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ। इसलिए कर्मचारियों ने एक दिवसीय धरना दिया है।
महासचिव ने कहा कि हमारी मांगों में 20 साल की सेवा के बाद पूरा पेंशन देने, अंतिम वेतन या पिछले दस महीनों की औसत परिलब्धियां, इनमें से जो अधिक फायदेमंद हो, उसके आधार पर पेंशन की गणना करने सहित अन्य शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड के अधिकारी और कर्मचारी लगभग डेढ़ वर्ष से मांगों को लेकर आंदोलन पर हैं।