नई दिल्ली: कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने उद्योगपति नारायणमूर्ति की कंपनी क्लॉउडटेल के साथ अमेजन के संबंधो पर एक बड़ा सवाल खड़ा करते हुए सरकार से इस मामले की तुरंत जांच किये जाने की मांग की है।
कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजे एक पत्र में कहा है कि ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन द्वारा भारत के नियमों, कानूनों और नीतियों को चकमा देने में नारायणमूर्ति की कंपनी क्लाउडटेल अमेजन का पूरा साथ दे रही है।
कैट ने यह भी कहा है कि देश के कुछ बैंक अमेजॅन को कैशबैक की सुविधा देकर अपनी विशेष नीतियों के माध्यम से बाजार में अमेजन द्वारा कीमतों के खेल में उसकी मदद कर रहे हैं, ऐसे बैंकों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की जरूरत है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने गोयल को भेजे पत्र में कहा कि क्लाउडटेल इंडिया (प्राइवेट) लिमिटेड के मालिक नारायण मूर्ति तथा अप्पेरियो रिटेल (प्राइवेट) लिमिटेड, अशोक पाटनी जिसके मालिक हैं, सहित दर्शिता एटेल-दर्शिता मोबाइल्स, एसटीपीएल-ग्रीन मोबाइल्स और रॉकेट कोमर्स कंपनियां पर ही अमेजन का 80 प्रतिशत व्यापार हो रहा है।
यद्यपि कानून और नीतियों के अनुसार, मार्केटप्लेस (अमेजॅन) का रिटेलर (जैसे क्लाउडटेल) से कोई संबंध या नियंत्रण नहीं होना चाहिए, पर ये रिटेलर कंपनियां पूरी तरह से अमेजॅन द्वारा नियंत्रित होती हैं। यही कारण है कि अमेजॅन का मार्केटप्लेस होने का दावा करना एक मात्र मिथक है।
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि ये महज कोई संयोग नही कि क्लाउडटेल और उसकी होल्डिंग कंपनी, प्रियन बिजनेस सर्विसेज में कार्यरत प्रबंध निदेशक, सीएफओ, एवं प्रमुख व्यक्ति (तथाकथित) अमेजन के पूर्व कर्मचारी रह चुके हैं।
यहां तक कि क्लाउडटेल के अधिकांश बोर्ड सदस्य अमेजन के पूर्व कर्मचारी हैं। इस बात में कोई आश्चर्य नहीं होगा कि मूर्ति के पास 76 प्रतिशत क्लाउडटेल के मालिकाना हक होने (और प्रियोने के पास 100 प्रतिशत क्लाउडटेल के मालिकाना अधिकार हैं) के बावजूद भी निदेशक मंडल में मूर्ति के स्थान पर बहुमत में अमेजॅन है।
असल मे क्लाउडटेल और प्रियन अमेजन के (तथाकथित) पूर्व कर्मचारियों द्वारा प्रबंधित और संचालित किए जाते हैं।
क्लाउडटेल और उसकी होल्डिंग कंपनी, प्रियन बिजनेस सर्विसेज के एमडी, सीएफओ, वरिष्ठ कर्मचारी, सभी अमेजन के पूर्व कर्मचारी हैं।
यहां तक कि क्लाउडटेल के बोर्ड मेंबर्स भी अमेजॅन के पूर्व (तथाकथित) और मौजूदा कर्मचारियों का मिश्रण है, जिसमें अमित अग्रवाल, अमेजॅन; कृष्णसंदीप वरगांती, एमडी, अमेजॅन के पूर्व कर्मचारी हैं।
राजेश जिंदल, एमडी, अमेजॅन के पूर्व कर्मचारी, कोमल पटवारी, प्रियन की कानूनी वकील, अमित रानाडे, कैटामारन, नित्यानंदन आर (पूर्व इंफोसिस ग्लोबल काउंसिल), कैटामारन; अर्जुन नारायणस्वामी, कैटामारन; शीतल भट, कैटामारन से हैं जबकि क्लाउडटेल के बोर्ड में राजेश जिंदल, एमडी, प्रियन, पूर्व अमेजॅन कर्मचारी; कोमल पटवारी, प्रियन कानूनी वकील; सुमित सहाय, एमडी; क्लाउडटेल, अमेजन के श्रेणी नेतृत्व के पूर्व निदेशक, अमित रानाडे, कैटामारन; और नित्यानंदन आर (पूर्व इंफोसिस ग्लोबल काउंसिल), कैटमारन शामिल है।
दोनों कंपनियों में अमेजॅन के पूर्व कर्मचारी ही निर्णायक स्थान पर हैं जिससे साफ जाहिर होता है कि भले ही मूर्ति के पास अधिकांश शेयर हैं, लेकिन उन्होंने अमेजॅन के पूर्व कर्मचारियों को क्लाउडटेल और प्रियन दोनों की कमान दे दी है।
इसलिए अमेजन की सहायक कंपनी के मालिक होने के नाते मूर्ति भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते क्योंकि सब कुछ जानते हुए भी वो अपनी कंपनी क्लॉउडटेल का बेजा इस्तेमाल अमेजॉन द्वारा करवा रहे हैं, इसलिए मूर्ति और उनकी कंपनी क्लाउडटेल के अमेजन के साथ किये गए कार्यकलापों की जांच जरूरी है !
भरतिया एवं खंडेलवाल ने गोयल को भेजे पत्र में यह भी कहा है कि विभिन्न बैंक अमेजन के पोर्टल से माल खरीदने पर समय- समय पर 10 प्रतिशत का कैश बैक तथा अन्य अनेक सुविधाएं दे रहे हैं।
इन बैंकों में एचडीएफसी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, सिटी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एचएसबीसी, बैंक ऑफ बड़ौदा, आरबीएल बैंक, और एक्सिस बैंक प्रमुख हैं।
ये बैंक अमेजन के पोर्टल से वस्तुओं की खरीद पर अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर नकद छूट/कैश बैक आदि प्रदान कर रहे हैं, लेकिन अगर वही सामान हमारे करोड़ों छोटे दुकानदार के दुकानों से खरीदा जाता है, तो यह छूट प्रदान नहीं की जा सकती है।
यह व्यापारियों को दो अलग समूह में बांट रहा हे, जो भारत के संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन करता है, जो समानता की गारंटी देता है और उपभोक्ताओं को ऑफलाइन (अमेजन और फ्लिपकार्ट) की दुकानों से सामान खरीदने से रोकता है तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 301, जो कि देश में व्यापार और वाणिज्य के लिए स्वतंत्रता देता है, उसका सीधा उल्लंघन है।