नई दिल्ली: स्वस्थ युवाओं में कोरोना वायरस के कारण स्ट्रोक का बड़ा खतरा पैदा हो गया है।
अमेरिका स्थित थॉमस जेफरसन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की रिसर्च में सामने आया है कि 30 से 40 साल की उम्र के संक्रमित मरीजों को इतने गंभीर स्ट्रोक आ रहे हैं जो आमतौर पर उम्रदराज मरीजों में देखे जाते हैं।
खास बात यह है कि संक्रमित होने से पहले इन युवाओं में स्ट्रोक के कोई लक्षण नहीं थे।
आइए जानते हैं कि स्ट्रोक के खतरे से युवाओं को बचाने के लिए क्या बचाव आवश्यक हैं। स्ट्रोक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त आपूर्ति रूक जाने या फिर मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाने को कहते हैं।
स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है जब मस्तिष्क तक रक्त पहुंचने में रुकावट होती है। इस स्थिति में ब्रेन टिशू में ऑक्सीजन और रक्त पहुंच नहीं पाती।
ऑक्सीजन के बिना मस्तिष्क की कोशिकाएं और ऊतक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। शोध में पाया गया कि आमतौर पर होने वाले स्ट्रोक की तुलना में संक्रमित हो चुके मरीजों को आए स्ट्रोक अलग तीव्रता के हैं।
ऐसे स्ट्रोक का असर मस्तिष्क के दोनों गोलार्द्ध पर पड़ रहा है, जिस कारण इन मरीजों की जान के लिए खतरा बढ़ गया है।
अब तक सामने आए स्ट्रोक के मामलों से पता लगा कि बिना लक्षण वाले कोरोना वायरस के मरीजों में रक्त का थक्का (क्लॉट) बनने लगता है जो स्ट्रोक होने का प्रमुख कारण है।
यानी जिन मरीजों को यह जानकारी ही नहीं थी कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। ऐसे मरीज अलग-अलग बीमारियों के उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराए गए जहां उन्हें स्ट्रोक आ गया।