नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 76 साल के एक पुजारी को सात साल और नौ साल की दो नाबालिग बच्चियों से रेप के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है।
एडिशनल सेशंस जज विजेता सिंह रावत ने कहा कि आरोपित ने मंदिर को अपवित्र किया, जहां बच्चों को सुरक्षित होना चाहिए।
कोर्ट ने पुजारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत दोषी करार दिया। कोर्ट ने आरोपित पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
इसके अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के तहत दोषी करार देते हुए आरोपित पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
पीड़ितों को शारीरिक और भावनात्म रूप से आघात के लिए साढ़े सात लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि दोषी पुजारी का काम करता था और उसने मंदिर जैसे परिवत्र परिसर में बच्चों के साथ अपराध किया। ऐसा कर आरोपित ने पीड़ितों और लोगों के भरोसे के साथ खिलवाड़ किया है।
अगर आरोपित के साथ कोई उदारता बरती जाती है तो इससे उन बच्चों को निराशा होगी जिन्होंने इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए बाधाओं का सामना किया।
कोर्ट ने आरोपित की इस दलील को खारिज कर दिया कि वो गरीब पृष्ठभूमि से आता है। कोर्ट ने कर्नाटक राज्य बनाम राजू में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि एक दोषी को मिलने वाली सजा उसकी सामाजिक आर्थिकि स्थिति पर निर्भर नहीं करता है बल्कि अपराधी के आचरण और अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि आरोपित ने सात और नौ वर्ष के नाबालिग बच्चों के साथ बार-बार रेप किया जो उस समय लगभग 69-70 साल का था।
यह इस बात को दर्शाता है कि उसकी मानसिकता भ्रष्ट थी और उसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है।