नई दिल्ली: कोरोना की तीसरी लहर को लेकर देशभर में आशंका है। इस बीच केंद्र सरकार ने रेमडिसिविर इंजेक्शन के 50 लाख वायल सुरक्षित कर लिए हैं।
साथ ही मोदी सरकार टोसिलजुमाब के प्रोडक्शन की भी तैयारी कर रही है।
वहीं मोदी सरकार एक बार स्थितियां ठीक हो जाने और पर्याप्त स्टॉक होने पर कोरोना वैक्सीन के नवंबर से दोबारा निर्यात पर भी विचार कर रही है। लेकिन वर्तमान में देश के भीतर ही वैक्सीनेशन पर सरकार का पूरा फोकस है। इसके साथ ही रेमडिसिविर और टोसिलजुमाब महत्वपूर्ण दवाएं थीं। जब तक सरकार ने इनका प्रोडक्शन नहीं बढ़ाया तब तक इनकी कमी थी।
इसके बाद अब मोदी सरकार ने रेमडिसिविर का प्रोडक्शन देश में बढ़ाया गया और टोसिलजुमाब बाहर से मंगाई गई क्योंकि इसका पेटेंट स्विट्जरलैंड की कंपनी हॉफमैन ला रोशे के पास है।
केंद्र के सूत्रों का कहना है कि अब इसके भारत में प्रोडक्शन की तैयारी हो रही है।
वहीं रेमडिसिविर के 50 लाख वायल सुरक्षित किए गए हैं, जिससे किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में राज्यों को इन्हें तुरंत भेजा जा सके।
इस वक्त इसके सात लाइसेंसधारक उत्पादक हैं जिनके पास प्रति महीने सवा करोड़ वायल बनाने की क्षमता है।
अब इन उत्पादकों ने तीन करोड़ वायल का उत्पादन किया है। जल्द ही रेमडिसिविर के निर्यात की भी तैयारी हो रही है।
जहां तक कोरोना वैक्सीन के निर्यात का सवाल है,तब सरकार ऐसा नवंबर से शुरू कर सकती है।
तब तक देश में 6 स्वदेशी वैक्सीन उत्पादक मौजूद हो सकते हैं। माना जा रहा है कि उस वक्त पर्याप्त स्टॉक होगा।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया जैसे बड़े उत्पादक सरकार से निर्यात खोलने की बात कहते रहे हैं। लेकिन अभी सरकार का पूरा फोकस देश के भीतर वैक्सीनेशन पर है।
तीसरी लहर की आशंका को लेकर मोदी सरकारी ने अन्य फ्रंट पर भी तैयारियां की हैं।
सरकार द्वारा स्वीकृत किए गए कुल 1573 ऑक्सीजन प्लांट्स में से 293 प्लांट कमीशन किए जा चुके हैं।
इसके अलावा सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा भी 351 प्लांट लगवाए जा रहे हैं। इस वक्त कुल 1244 ऑक्सीजन टैंकर देश में मौजूद हैं।
अप्रैल महीने से अब तक 2 लाख अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई है।
देश में 18 लाख से ज्यादा आइसोलेशन बेड हैं और 1.25 लाख आईसीयू बेड हैं। इसके अलावा राज्यों को 50 हजार वेंटिलेटर की सप्लाई भी की गई है।