स्कूल में पैरंट्स ने बढ़ी फीस नहीं दी तो पीरियड्स में छात्रा को दी निर्मम सजा…

ऐसा व्यवहार करने वाले शिक्षा जगत के सेवक नहीं, पक्के व्यवसायी ही हो सकते हैं। भारी भरकम Fees लेकर शिक्षा की दुकाने चलाने वालों से मानवता की उम्मीद रखना भी किसी गुनाह से कम नहीं है।

Central Desk

Girl Student Given cruel Punishment During her Period for not Paying Fees: ऐसा व्यवहार करने वाले शिक्षा जगत के सेवक नहीं, पक्के व्यवसायी ही हो सकते हैं। भारी भरकम Fees लेकर शिक्षा की दुकाने चलाने वालों से मानवता की उम्मीद रखना भी किसी गुनाह से कम नहीं है।

यहां DPS स्कूल में एक छात्रा को पीरियड (Period) आया लेकिन स्कूल प्रबंधन ने कोई मदद नहीं की। द्वारका स्थित DPS स्कूल में एक छात्रा को उसके पहले पीरियड आए। यह छात्रा उन Students में शामिल है जिनके पैरेंट्स ने स्कूल को उनकी बढ़ी फीस नहीं दी है।

आरोप है कि स्कूल की तरफ से छात्रा को कोई सहायता नहीं दी गई और उसे स्कूल पूरा होने तक जबर्दस्ती बिठाए रखा गया। इसकी वजह से छात्रा को काफी खराब हालत में छुट्टी के बाद अपने घर जाना पड़ा। यह मामला नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) के पास पहुंचा है।

NCPCR ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए स्कूल के खिलाफ FIR दर्ज करवाने के आदेश दिए हैं। NCPCR ने कहा है कि छात्रा के साथ School Management का इस तरह का व्यवहार अमानवीय है। इससे छात्रा की मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ा है। स्कूल अथॉरिटी का इस तरह का व्यवहार सेक्टर 75 ऑफ JJ एक्ट, 2015 का उल्लंघन है।

इस मामले में छात्रा को भी Child Welfare Committee के समक्ष अपने बयान दर्ज करवाने के लिए कहा गया है।आदेश के मुताबिक उन्हें 16 जुलाई को कुछ पैरेंट्स की तरफ से शिकायत मिली थी। इन Parents के बच्चे द्वारका सेक्टर-3 के DPS स्कूल में पढ़ते हैं। यह पैरेंट्स मनमाने तरीके से बढ़ाई गई फीस नहीं दे रहे हैं इसलिए स्कूल ने इन स्टूडेंट्स के नाम काट दिए हैं।

इस मामले में उसी दिन Directorate ऑफ एजुकेशन के डायरेक्टर और साउथ वेस्ट जिले के डीएम को पत्र लिखा गया था और जांच को कहा गया था। इसके साथ ही NPCR के हस्तक्षेप के बाद South West दिल्ली के Deputy Director Education ने स्कूल को निर्देश जारी किए थे कि स्कूल की पढ़ाई का नुकसान नहीं होना चाहिए। न ही स्टूडेंट्स के साथ गलत व्यवहार होना चाहिए।

स्टूडेंट्स को Join Classes करवाई जाएं और उन्हें मिड टर्म एग्जाम भी देने दिया जाए। साथ ही इन स्टूडेंट्स से किसी तरह का भेदभाव न हो। स्कूल को आदेश दिए गए थे कि वह हाई कोर्ट के आदेशों का अमल करें। High Court ने इस मामले में पहले ही आदेश दिए हैं कि Students के नाम दोबारा स्कूल में जोड़े जाएं।