शिमला: किसान आंदोलन को धार देने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने हिमाचल प्रदेश में सेब के गिरते दामों पर चिंता जताते हुए कहा है कि बागवानों की आवाज को आंदोलन के जरिए पूरे देश में पुरजोर तरीके से उठाएंगे औैर सेब के दाम नहीं गिरने दिए जाएंगे।
राकेश टिकैत शनिवार को शिमला में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत ने कहा कि 10 साल पहले अदानी ने हिमाचल में व्यापार करना शुरू किया था, जिसका असर अब देखने को मिल रहा।
सेब के दाम यहां एकाएक कम हुए हैं। अडानी ने सेब का खरीद मूल्य 16 रुपये कम कर दिया है।
कहाकि किसान संयुक्त मोर्चा हिमाचल के बागवानों की आवाज को बुलंद करने के लिए आंदोलन करेगा।
प्रदेश की राजधानी शिमला ठंडी जगह है लेकिन यहां के मौसम को गर्म करने में समय नहीं लगेगा।
जिस प्रकार दिल्ली में किसान डटे हैं, उसी तरह शिमला को दिल्ली बनने में देर नहीं लगेगी।
उन्होंने कहा कि यदि गोदाम तोड़े जाते हैं तो उसकी जिम्मेदारी किसान की नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसान और बागवान सरकार की बेरुखी के कारण भी चिंतित हैं।
टिकैत ने कहा कि भाजपा की सरकार किसी एक पार्टी की नही है बल्कि पूंजीपतियों की सरकार है।
इसलिए किसानों और बागवानों षड्यंत्र हो रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सीमा पर किसानों के आंदोलन को 9 माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन सरकार अभी भी बातचीत को तैयार नहीं है।
ऐसे में मुजफ्फरनगर में आगामी पांच सितम्बर को एक बड़ी पंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश भर से किसान व उसके प्रतिनिधि आएंगे और आंदोलन की आगामी रुपरेखा तैयार होगी।
उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार ने तीनों काले कानून वापस नहीं लिए तो आने वाले समय में पूरे देश में आंदोलन शुरू होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।
उन्होंने प्रदेश सरकार से हिमाचल के किसानों व बागवानों को ट्रांसपोर्ट सब्सिडी प्रदान करने तथा संरक्षण देने की मांग की है।
टिकैत ने तंज कसते हुए कहा कि सेब के जो दाम 2011 में मिलते थे वही आज मिल रहे हैं जबकि केंद्र सरकार 2022 में किसानों की आयु दोगुना करने की बात कह रही है।
उन्होंने कहा कि 2022 को अब तक 3 माह का समय रह गया है, ऐसे में देखना होगा कि तीन माह के बाद किसानों की आयु दो गुणा होती या नहीं है। उन्होंने कहा कि कांट्रेक्ट फार्मिंग के परिणाम सामने आने लगे हैं।