AIPLB Does Not Agree with the Supreme Court’s decision : रविवार को All India Muslim Personal Law Board ने नई दिल्ली में एक बेहद अहम मीटिंग की।
प्रेसिडेंट हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की अध्यक्षता में हुई बैठक में Board ने निर्णय लिया कि मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं के भरण-पोषण पर शीर्ष अदालत का हालिया फैसला इस्लामी कानून (शरीयत) के खिलाफ था।
बता दें कि बुधवार को Supreme Court ने कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला को CRPC की धारा 125 के तहत अपने पूर्व पति से भरण-पोषण पाने का अधिकार है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि यह फैसला उन मुस्लिम महिलाओं के लिए मुश्किल खड़ी करेगा, जो अपने दर्दभरे रिश्ते से सफलतापूर्वक बाहर आ चुकी हैं। बोर्ड ने जोर देकर कहा कि यह मानवीय तर्क के साथ अच्छा नहीं है कि तलाक हो जाने के बाद भी व्यक्ति को पूर्व पत्नियों की जिम्मेदारी उठाने के लिए कहा जा रहा है।
Muslim Personal Law Board ने पवित्र कुरान के अनुसार निकाह को जारी रखने के महत्व पर जोर दिया। साथ ही कहा कि तलाक के बाद पुरुषों को पूर्व पत्नियों को बनाए रखने के लिए मजबूर करना अव्यावहारिक है। बैठक की कार्रवाई का संचालन महासचिव मौलाना मुहम्मद फजलुर्रहीम मुजादीदी ने किया, जिसमें देश भर से प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने अपने अध्यक्ष को यह अधिकार दिया कि वह इस फैसले को वापस कराने के लिए कोई भी कदम उठा सकते हैं।
मामले पर चर्चा करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) वर्किंग कमेटी ने इस बात पर जोर दिया है कि पैगंबर ने उल्लेख किया था कि सभी संभावित कर्मों में से अल्लाह की दृष्टि में सबसे घृणित तलाक है। इसलिए हर कोशिश करके शादी को जारी रखना ही उचित है।
Board ने आगे कहा कि अगर इसके बावजूद शादी को बरकरार रखना मुश्किल हो जाता है तो इंसानियत की भलाई के लिए तलाक का उपाय बताया गया है।