नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा आज दिल्ली को अनलॉक करने की प्रक्रिया में 31 मई से केवल निर्माण गतिविधियों और फैक्टरियों को ही खोला जाने के निर्णय से दिल्ली के व्यापारियों को बहुत निराशा हुई है।
कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा की, निश्चित रूप से दिल्ली में कोरोना को और अधिक न बढ़ने देना केवल सरकार की ही नहीं बल्कि व्यापारियों की भी प्राथमिकता है लेकिन बाजारों को न खोले जाने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा की, जिन प्रवासी मजदूरों के लिए ये दोनों गतिविधियां खोली गई हैं उनसे कहीं ज्यादा मात्रा में व्यापारियों के यहां प्रवासी लोग काम करते हैं।
दिल्ली के लगभग 15 लाख छोटे बड़े व्यापारी लगभग 35 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं। क्या व्यापारियों के यहां काम करने वाले कर्मचारी मुख्यमंत्री केजरीवाल के मापदंडो में नहीं आते?
उन्होंने यह भी कहा की, जो फैक्ट्रियां माल बनाएंगी वो बेचेंगी कहां ? उनके द्वारा बनाये गए माल को व्यापारियों के माध्यम से ही बेचा जाता है।
वहीं दूसरी ओर निर्माण गतिविधियों एवं फैक्ट्रियों में उत्पादन के लिए बिल्डिंग मटेरियल, बिल्डर हार्डवेयर, मशीनरी, टूल्स, स्पेयर पार्ट्स आदि की लगातार आवश्यकता होती है जबकि इस प्रकार का सामान बेचने वाली सभी दुकानें सरकार के लॉक डाउन आदेश के कारण बंद रहेंगी। ऐसे में निर्माण गतिविधियों एवं फैक्ट्रियों को खोलने का मूल औचित्य ही पूरा नहीं होगा।
कैट के अनुसार, 26 मई को उपराजयपाल अनिल बैजल एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के व्यापारी संगठनों से व्यापक बातचीत करने के बाद एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें कोविड के सभी सुरक्षा उपायों के अनिवार्य उपयोग के साथ आगामी 31 मई अथवा 1 जून से दिल्ली में बाजार खोले जाएं।
दरअसल दिल्ली में मुख्य रूप से दो तरह के थोक एवं रिटेल बाजार हैं और जिनके व्यापारिक स्वरुप को देखते हुए सरकार को यह प्रस्तावित किया था की दिल्ली में थोक बाजार सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक और रिटेल बाजार दोपहर 12 बजे से रात्रि सात बजे तक खोले जाए, वहीं दूसरी ओर 1 जून से 7 जून तक दिल्ली में रात्रि 10 बजे से सुबह 5 बजे तक रात्रि कर्फ्यू लगाया जाए।