कोलकाता: चक्रवात प्रभावित पश्चिम बंगाल में हालात का जायजा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सीएम ममता बनर्जी के बर्ताव पर सरकार ने नाराजगी जताई है।
इस बाबत मुख्य सचिव अलापन बनर्जी को चिट्ठी भेजी गई है जिसमें उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आने को कहा गया है।
केंद्र सरकार के सूत्रों ने दीदी के रुख को मनमाना, अहंकारी, अप्रत्याशित और लोगों के लिए नुकसानदायक करार दिया है। सूत्रों ने कहा कि इससे संघवाद के ढांचे को चोट पहुंचेगी।
ओडिशा और बंगाल का एरियल सर्वे करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी का विमान कलाईकुंडा एयरबेस पर उतरा। जब प्रधानमंत्री समीक्षा बैठक में पहुंचे तो वहां बंगाल से कोई नहीं था।
ममता और बंगाल के मुख्य सचिव दोनों एक ही भवन में मौजूद थे। इसके बावजूद वे पीएम को लेने नहीं पहुंचे।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि प्रधानमंत्री,राज्यपाल और अन्य केंद्रीय मंत्री इस बैठक में पहुंचे हुए थे। उन्होंने बड़े धैर्य से करीब आधे घंटे तक इंतजार किया। फिर अचानक ममता बनर्जी पहुंचीं।
तूफान के असर पर पीएम को आनन-फानन में कागजों का एक पुलिंदा थमाया। इसके बाद चलती बनीं। सीएम ने बताया कि उन्हें कई और जगह भी जाना है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि इतना ही नहीं, दीदी ने मुख्य सचिव और गृह सचिव जैसे बंगाल के अफसरों को भी प्रजेंटेशन की अनुमति नहीं दी।
एक सूत्र ने कहा कि पीएम ने बंगाल को हुए नुकसान की समीक्षा के लिए समय निकाला। लेकिन, सीएम की राजनीति और संकीर्णता ने इस समीक्षा पर पानी फेर दिया। ऐसा करके ममता सिर्फ बंगाल के लोगों के हितों को नुकसान पहुंचा रही हैं।
उन्होंने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में शायद किसी राज्य के सीएम ने पीएम और गवर्नर जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के साथ इस तरह का बर्ताव न किया हो।
ममता का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है। यह अहंकार से भरा हुआ है। यह अलग बात है कि उनके इस रवैये से लोगों का नुकसान हो रहा है। वह भी तब जब देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है।