CJI Expressed Strong Objection : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तेलंगाना सरकार की ओर से ऊर्जा क्षेत्र में अनियमितताओं की जांच के लिए नियुक्त जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी को कड़ी फटकार लगाई।
Supreme Court के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने जस्टिस रेड्डी की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि उन्होंने उस मामले पर react किया जिसकी वह जांच कर रहे थे। इधर जस्टिस रेड्डी ने जांच आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।
Supreme Court ने जस्टिस रेड्डी पर निष्पक्षता के मानदंडों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। मामला तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली BRS सरकार की ओर से कथित बिजली क्षेत्र की अनियमितताओं से जुड़ा है। तेलंगाना सरकार ने कहा कि सोमवार तक नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने KCR के वकील से सहमति जताई और कहा कि जस्टिस रेड्डी के कमेंट से राजनीतिक प्रतिशोध की बू आती है। हालांकि, रेवंत रेड्डी सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता AM सिंघवी ने रोहतगी की दलीलों का जोरदार खंडन किया।
बता दें कि विधानसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद, रेवंथ रेड्डी सरकार ने 14 मार्च को जस्टिस रेड्डी आयोग का गठन किया था। इसे 90 दिनों में सिफारिशें देने का आदेश दिया गया था। लेकिन CJI की अगुवाई वाली पीठ ने 11 जून की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस रेड्डी की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई और कहा कि पहली नजर में टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि उन्होंने उस मुद्दे में सही-गलत पर टिप्पणी की, जिसकी वे जांच कर रहे थे। Supreme Court ने KCR के वकील मुकुल रोहतगी की दलीलों को स्वीकार किया।
रोहतगी ने कहा था कि जस्टिस रेड्डी ने 16 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकारी खजाने को हुए नुकसान के बारे में टिप्पणी करके अपना पक्षपातपूर्ण रवैया दर्शाया था। Supreme Court के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने जस्टिस रेड्डी की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि उन्होंने उस मामले पर रिएक्ट किया जिसकी वह जांच कर रहे थे।
रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि केसीआर ने ऐसा कौन सा अपराध किया है कि उन्हें इस तरह के राजनीतिक प्रतिशोध का सामना करना पड़े? पूरी जांच राजनीतिक प्रतिशोध की बू आ रही है। जब रिटायर्ड जज पहले ही अपना मन बना चुके हैं और KCR के जवाब देने से पहले ही निष्कर्षों के बारे में टिप्पणी कर चुके हैं तो उन्हें जांच आयोग से क्या निष्पक्षता की उम्मीद है? वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने रेवंत रेड्डी सरकार की ओर से जांच आयोग की नियुक्ति का बचाव किया।
उन्होंने कहा कि जांच आयोग के निष्कर्ष प्रकृति में सिफारिशी होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री के पास निष्कर्षों को चुनौती देने के लिए दीवानी और आपराधिक कानून के सभी उपाय खुले रहेंगे। जस्टिस रेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत को सूचित किया कि Retired जज ने जांच आयोग से खुद को अलग करने की इच्छा व्यक्त करते हुए एक पत्र भेजा है। इसी के साथ तेलंगाना सरकार सोमवार तक नए अध्यक्ष की घोषणा करेगी।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से निष्पक्षता मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए आलोचना किए जाने के बाद, जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी ने के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली BRS सरकार की ओर से कथित बिजली क्षेत्र में अनियमितताओं की जांच करने वाले एक सदस्यीय आयोग के रूप में काम करना बंद कर दिया। तेलंगाना सरकार ने कहा कि वह सोमवार तक नए अध्यक्ष की घोषणा कर देगी।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने के.सी.आर. के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से सहमति जताई।
कोर्ट ने कहा कि जस्टिस रेड्डी ने 16 जून को Press Conference में सरकारी खजाने को हुए नुकसान के बारे में टिप्पणी करके अपनी पूर्व-निर्धारित सोच का परिचय दे दिया, जिस मुद्दे की उन्हें जांच करनी थी। इसी वजह से Supreme Court ने फटकार लगाई।