नई दिल्ली: कोरोना के इलाज में कारगर कॉकटेल ड्रग यानी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दिल्ली में भी लांच हो गई है। एक निजी अस्पताल में 65 साल के बुजुर्ग को यह दवा दी गई।
दिल्ली का यह पहला केस है, जिसमें दवा का इस्तेमाल किया गया है। 24 मई को दवा को लांच किया गया था, तब एक अन्य निजी अस्पताल में 84 साल के एक बुजुर्ग को यह दी गई थी।
अन्य निजी अस्पताल में अब तक 8 मरीजों को यह दवा दी गई है। दिल्ली में कई और अस्पताल भी इस दवा के इस्तेमाल की तैयारी में जुटे हैं।
निजी अस्पताल के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर ने कहा कि 65 साल के कोविड मरीज को एंटीबॉडी कॉकटेल दिया गया। हमें खुशी है कि देश भर में कोविड मरीजों के लिए ट्रीटमेंट का लांच किया जा रहा है।
मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कोविड के साथ जुड़कर इस न्यूट्रलाइज कर देते हैं, जिससे वायरस की ग्रोथ रुक जाती है। हमें विश्वास है कि कोरोना के खिलाफ यह इलाज बेहतर विकल्प बनेगा।
माइल्ड व मॉडरेट लक्षण वाले मरीजों में बीमारी कम गंभीर होगी। इस थैरेपी को एंटीबॉडी कॉकटेल इसकारण कहा गया है, क्योंकि इसमें दो बायलॉजिकल दवाओं का मिश्रण है, जो मनुष्य के एंटीबॉडीज की तरह हैं और प्राकृतिक एंटीबॉडी की तरह इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है।
ये एंटीबॉडी, बीमारी को गंभीर स्थिति तक पहुंचाने से रोकने में कारगर होंगी। एंटीबॉडी कॉकटेल को देने में औसतन एक घंटे का समय लगता है।
कोविड पॉजिटिव मरीजों को 48-72 घंटों के भीतर इस देना चाहिए और अधिकतम 7 दिनों के अंदर इस दिया जा सकता है। इस इलाज से मरीज की अस्पताल में भर्ती और मृत्यु होने की संभावना 70 प्रतिशत तक कम हुई है।
यह कॉकटेल एंटीबॉडी 65 साल से ऊपर के माइल्ड व मॉडरेट कोविड मरीज को दी जा सकती है। बच्चों में जिसकी उम्र 12 साल से अधिक या वजन 40 किलोग्राम से अधिक है, उसे भी दी जा सकती है।
देश में कॉकटेल एंटीबॉडी का पहला इस्तेमाल 84 साल के मोहब्बत सिंह में किया गया था। एक निजी अस्पताल में उन्हें यह दवा दी गई थी। अस्पताल की डॉक्टर ने बताया कि उनकी सेहत में सुधार है।
लगातार फॉलोअप किया जा रहा है। वहां अपने घर में हैं। किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। चार दिन हो गए हैं, वहां ठीक हैं। उन्होंने कहा कि हम जिन मरीजों को यह दवा दे रहे हैं, उसका पूरा डाटा भी तैयार कर रहे हैं।