नई दिल्ली: दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति में भले ही लगातार सुधार हो रहा है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार निकट भविष्य में यहां इसके खत्म (कोविड-19 के मामले शून्य) होने की कोई संभावना नहीं है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि लोगों को कोविड-19 के साथ जीना सीखना होगा।
हालांकि यह कई मेट्रो शहरों के लिए सच हो सकता है जो महामारी की अग्रिम पंक्ति में थे, विशेषज्ञों ने विशेष रूप से दिल्ली के लिए यह टिप्पणी की है।
भले ही एक दिन नए मामले शून्य हो सकते हैं, लेकिन राजधानी में संक्रमितों की संख्या शून्य होने की संभावना नहीं है।
दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि दिल्ली के लिए शून्य एक असंभव आंकड़ा है क्योंकि वायरस म्यूटेट हो रहा है और इसके भविष्य की भविष्यवाणी करना मुश्किल है।
फरीदाबाद में अमृता हॉस्पिटल्स के रेजिडेंट मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संजीव के सिंह ने कहा कि “यह वायरस स्मार्ट है और सिर्फ जीने के लिए, यह बदलता रहेगा।
कोविड बना रहेगा और भले ही सभी 193 देशों को प्रभावित नहीं करे, लेकिन यह रहेगा। इसका शून्य पर आना संभव नहीं होगा।
डॉ.संजीव ने कहा कि अस्पतालों में सर्जरी कराने से पहले जैसे किसी मरीज को हेपेटाइटिस और एचआईवी टेस्ट कराना पड़ता है। वैसे ही आपको कोविड टेस्ट भी किया जाएगा।
डॉ.गौरी अग्रवाल ने कहा कि वायरस को खत्म करना एक अवास्तविक संभावना है क्योंकि 12-24 महीनों में कोविड-19 धीरे-धीरे स्थानिक हो जाएगा।
इसके आंकड़ों पर रोजाना करीब से नजर नहीं रखी जाएगी, पर यह वहीं रहेगा।
दिल्ली में एक दिन में इस साल के सबसे कम 59 नए मामले दर्ज किए गए थे और दो लोगों की मौतें हुईं।
उसके बाद से दैनिक मामले 90 के आसपास बने हुए हैं। पहली और दूसरी लहर दोनों में राजधानी महामारी के घातक प्रहार की चपेट में आ गई।
दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी ने राजधानी को स्थिति की गंभीरता को बढ़ा दिया।