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वुहान लैब से लीक हुआ कोरोना वायरस, भारत के वैज्ञानिकों खुली चीन की पोल

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन दुनियाभर में निशाने पर है।

अब भारतीय वैज्ञानिक दंपत्ति ने दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान लैब से लीक हुआ था।

पुणे के रहने वाले वैज्ञानिक दंपत्ति डॉ. राहुल बाहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर ने दुनिया के अलग-अलग देशों में बैठे अनजान लोगों के साथ मिलकर इंटरनेट से इस संबंध में सबूत जुटाए हैं।

जिन लोगों ने इंटरनेट से सबूत एकत्रित किए हैं वे अनजान लोग हैं, जिनका मुख्य स्रोत ट्विटर और दूसरे ओपन सोर्स हैं।

इन लोगों ने अपने समूह को ड्रैस्टिक (डीसेंट्रलाइज्ड रेडिकल ऑटोनॉमस सर्च टीम इनवेस्टिगेटिेंग कोविड-19) का नाम दिया है।

इन लोगों का मानना है कि कोरोना चीन के मछली बाजार से नहीं बल्कि वुहान की लैब से निकला है।

इनकी इस थ्योरी को पहले षड्यंत्र बताकर खारिज कर दिया गया था। लेकिन इसने अब दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। ये लोग चीनी दस्तावेज का अनुवाद कर अपने स्तर पर इसकी जांच कर रहे हैं।

चाइनीज एकेडमिक पेपर और गुप्त दस्तावेजों के अनुसार इसकी शुरुआत साल 2012 से होती है। उस समय छह खदान श्रमिकों को यन्नान के मोजियांग में उस माइनशाफ्ट को साफ करने भेजा गया था जहां चमगादड़ों का आतंक था।

उन श्रमिकों की वहां मौत हो गई। साल 2013 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. शी झेंगली और उनकी टीम माइनशाफ्ट से सैंपल को अपने लैब लेकर आ गई।

शी का कहना है कि श्रमिकों की मौत गुफा में मौजूद फंगस की वजह से हो गई। इसके उलट ड्रैस्टिक का दावा है कि शी को एक अज्ञात कोरोना स्ट्रेन मिला जिसे उन लोगों ने आरएसबीटीकोव/4491 का नाम दिया।

रिपोर्ट के अनुसार वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट के साल 2015-17 के पेपर में इस का विस्तार से जिक्र किया गया है।

ये बहुत ही विवादित प्रयोग थे जिन्होंने वायरस को बहुत अधिक संक्रामक बना दिया। यह थ्योरी बताती है कि एक लैब की गलती कोविड-19 के विस्फोट का कारण बनी।

एक चीनी वायरोलॉजिस्ट ने कहा है कि अमेरिका के शीर्ष कोरोनावायरस सलाहकार एंथनी फाउची के ई-मेल साबित करते हैं कि कोरोना की उत्पत्ति वुहान के लैब से ही हुई थी।

डॉक्टर ली-मेंग यान जो उन लोगों में से थीं, जिन्होंने सबसे पहले कोरोना के वुहान की लैब से लीक हुए होने की बात कही थी।

डॉक्टर ली-मेंग यान कोरोना पर शोध करने वाले पहले लोगों में से एक थीं और उन्होंने खुलासा किया था कि बीजिंग पर इस मामले को छुपाने का आरोप लगाने के बाद उन्हें छिपने के लिए मजबूर किया गया।

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