जम्मू: कश्मीर में दो सिख लड़कियों के धर्मांतरण पर मचे बवाल के बीच पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सिख और मुस्लिम समुदाय के बीच दरार पैदा होने से प्रदेश में काफी नुकसान होगा जिसकी कभी भरपाई नहीं हो पायेगी।
मंगलवार को ट्वीट के माध्यम से उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि प्रशासन तनाव वाले मामले की जल्द जांच करेगा।
जम्मू-कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम नासिर उल इस्लाम ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए मामले की जांच की मांग की है।
नासिर उल इस्लाम ने कहा कि सिख भाई कश्मीर समाज का अहम हिस्सा हैैं और किसी को भी किसी का अपमान करने की इजाजत नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस्लाम में जबरन मतांतरण के लिए कोई स्थान नहीं है। जबरन मतांतरण को इस्लाम में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
इस्लाम में कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से आ सकता है और इसके लिए कोई जबरदस्ती नहीं है। इस मामले की जल्द से जल्द जांच होनी चाहिए।
ऑल पार्टी सिख कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगमोहन सिंह रैना ने कहा कि हम चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द अंतर जातीय विवाह कानून लागू किया जाना चाहिए और हम अपनी इस मांग को उपराज्यपाल के समक्ष उठाएंगे।
सिख यूनाइटेड फ्रंट के प्रधान सुदर्शन सिंह ने कहा कि मतांतरण का मामला गंभीर है और यह कोई पहली घटना नहीं है। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय इस तरह के कृत्यों को कतई स्वीकार नहीं करेगा।
जम्मू के गाडीगढ़ क्षेत्र में सिख समुदाय ने इस मामले को लेकर फिर विरोध प्रदर्शन करते हुए जल्द से जल्द दोषियों को सजा देने की मांग की।
बता दें कि कश्मीर में सिख लड़कियों का जबरन मतांतरण कर मुस्लिमों से विवाह कराने को लेकर सिखों में भी भारी रोष है और कईं सिंख संगठनों सहित अन्य संगठन इस मामले को लेकर विेरोध प्रदर्शन कर चुके हैं।
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कश्मीर में सिखों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और लड़कियों का अपहरण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
प्रधानमंत्री से इस मामले में दखल देने और जम्मू कश्मीर में धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बनाने, वहां सिखों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने, आनंद मैरिज एक्ट लागू करने, विस्थापित होने वाले सिखों को सम्मानजनक राहत पैकेज व कश्मीरी पंडितों के बराबर सुविधाएं देने और पंजाबी को राजभाषा का दर्जा देने की मांग भी की गई है।
इनका कहना है कि सिख अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। सिख लड़कियों के अपहरण कर जबरन धर्मांतरण व विवाह कराने की घटनाओं से उनमें असुरक्षा की भावना और पैदा हो गई है।
उनकी मांग है कि कश्मीर घाटी में पनप रही इस जेहादी मानसिकता जल्द खत्म किया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।