नई दिल्ली: भारत लगातार सुरक्षा ताकत को लगातार बढ़ाता जा रहा है। इसी के तहत रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने शुक्रवार को 45,000 करोड़ से अधिक के भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75आई के तहत छह पनडुब्बियों की खरीद के लिए प्रस्ताव (आरएफपी) को मंजूरी दे दी।
इसके लिए दो भारतीय कंपनियों और पांच विदेशी उपकरण निमार्ताओं को पहले ही शॉर्टलिस्ट किया जा चुका है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में शुक्रवार को डीएसी की बैठक के दौरान इस मेगा डील को मंजूरी दी गई।
नौसेना के लिए स्वदेशी पनडुब्बियों के निर्माण के लिए मेगा पनडुब्बी परियोजना को अंतिम मंजूरी मिली, जिसमें दो भारतीय कंपनियां एक विदेशी निर्माता के सहयोग से काम कर सकती हैं।
प्रोजेक्ट के लिए आरएफपी मझगांव डॉक्स (एमडीएल) और निजी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो को जारी किया गया है।
प्रोजेक्ट 75 आई के तहत, भारतीय नौसेना के लिए पनडुब्बियों का निर्माण भारत में किया जाएगा और ओईएम द्वारा टीओटी के माध्यम से किया जाएगा।
यह परियोजना रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत है जिसे भारत में क्षमता निर्माण सुनिश्चित करने के प्रयास में अपनाया गया था।
इस परियोजना को 1999 में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) से मंजूरी मिल गई थी और 2007 में स्वीकृति की आवश्यकता दी गई थी।
रणनीतिक साझेदारी मॉडल का उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देने के अलावा सशस्त्र बलों की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम एक औद्योगिक और अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना के अलावा रक्षा उपकरणों के लिए एक विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत को बढ़ावा देना है।
भारतीय नौसेना के पास फिलहाल 12 पनडुब्बियां हैं।
इसके अलावा नौसेना के बेड़े में दो परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत और आईएनएस चक्र हैं।
हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी जहाजों की बढ़ती उपस्थिति के मद्देनजर अपने पनडुब्बी संचालन और नौसेना बेड़े का उन्नयन भारतीय नौसेना के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।