New Delhi Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को गुजरात उच्च न्यायालय के उस फैसले पर अगले आदेश तक रोक लगा दी, जिसमें चार पुलिस अधिकारियों को एक विशेष समुदाय के लोगों को कोड़े मारने की घटना में शामिल होने के कारण 14 दिन जेल की सजा और प्रत्येक पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
दोषी अधिकारियों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति B.R. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सजा के क्रियान्वयन पर उच्च न्यायालय द्वारा पहले से लगाई गई रोक की अवधि बढ़ा दी।
अपने अक्टूबर 2023 के आदेश में उच्च न्यायालय ने DK बसु मामले में उल्लिखित गिरफ्तारी पर Supreme Court के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए चार अधिकारियों को अवमानना में दोषी ठहराया था। हालांकि, इसने दोषी पुलिस अधिकारियों को अपील दायर करने की अनुमति देने के लिए सजा के निष्पादन को तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया था।
हाईकोर्ट के Justice AS सुपेहिया और गीता गोपी की खंडपीठ ने इस कृत्य को “अमानवीय” और मानवाधिकारों का हनन बताया।
यह मामला 3 अक्टूबर, 2022 की एक घटना से जुड़ा है, जहां खेड़ा जिले के उंधेला गांव में एक बड़ी भीड़ ने कथित तौर पर एक धार्मिक कार्यक्रम में बाधा डाली थी।
इसके बाद ऐसे Video सामने आए, जिनमें पुलिस अधिकारी सार्वजनिक रूप से कई लोगों को कोड़े मार रहे थे। इस कृत्य की व्यापक निंदा हुई।
अत्यधिक पुलिस बल और अवैध हिरासत का आरोप लगाते हुए पांच पीड़ितों ने गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक (Historical) फैसले का हवाला दिया गया, जो गिरफ्तारी और हिरासत के दौरान Police आचरण के लिए दिशानिर्देशों की रूपरेखा तैयार करता है। उन्होंने आगे अपने अधिकारों के हनन के लिए मुआवजे की मांग की।