यासीन को मौत की सजा देने संबंधी NIA की याचिका पर सुनवाई से जज ने खुद को किया अलग

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के न्यायाधीश अमित शर्मा ने आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मौत की सजा देने का अनुरोध करने वाली राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की याचिका पर सुनवाई से गुरुवार को खुद को अलग कर लिया।

Central Desk

Delhi High Court : दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के न्यायाधीश अमित शर्मा ने आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मौत की सजा देने का अनुरोध करने वाली राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की याचिका पर सुनवाई से गुरुवार को खुद को अलग कर लिया।

ऐसे मामलों की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों की सूची में बदलाव के बाद यह मामला न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया।

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा,‘‘ इसे नौ अगस्त के लिए अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए जिसमें न्यायमूर्ति शर्मा सदस्य नहीं हों।’’

अलगाववादी संगठन ‘Jammu and Kashmir Liberation Front’ का प्रमुख यासीन मलिक आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए तिहाड़ जेल से अदालती कार्यवाही में शामिल हुआ।

अदालत ने निर्देश दिया कि मलिक अगली तारीख पर भी ऑनलाइन माध्यम से पेश हो।

पिछले वर्ष 29 मई को उच्च न्यायालय ने आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में मलिक को मौत की सजा देने की एनआईए की याचिका पर उसे Notice जारी किया था और अगली तारीख पर सुनवाई के दौरान उसे उपस्थित होने का आदेश दिया था।

इस पर जेल प्राधिकारियों ने एक आवेदन दायर कर इस आधार पर मलिक को Online माध्यम से पेश करने की अनुमति मांगी थी कि वह ‘‘ उच्च जोखिम वाला कैदी’’ है और यह जरूरी है कि सार्वजनिक व्यवस्था एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए उसे अदालत में पेश नहीं किया जाए।