पिथौरागढ़/धारचूला: जिले के धारचूला में बीती रात बादल फटने से जुम्मा गांव में सात घर जमींदोज हो गए हैं।
मकान के मलबे से तीन सगी बहनों के शव बरामद हुए हैं। अभी मलबे में कई लोगों के दबे होने की सूचना है।
दो बालिकाएं घायल हुई हैं जबकि अभी लोग लापता हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार हताहतों की संख्या ज्यादा भी हो सकती है।
उत्तराखण्ड में मॉनसूनी कहर खत्म होने का नाम नही ले रहा है। कहीं भूस्खलन तो कहीं बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं।
धारचूला के ग्राम जुम्मा में रविवार रात बादल फटने के बाद आये मलबे की चपेट में आने से सात मकान ध्वस्त हो गये हैं।
इस घटना के बाद सात लोग लापता या मलबे में दबे होने की खबर है। स्थानीय लोगाें ने मलबे से तीन लोगों के शव बरामद किए है। घटना की सूचना पर एसडीआरएफ की टीम बचाव अभियान में लगी है।
इस घटना में जामुनी तोक (ग्राम जुम्मा) की तीन बालिकाओं के शव स्थानीय ग्रामीणों ने निकाल लिए हैं।
इनकी पहचान संजना (15 वर्ष), रेनू (11 वर्ष) और शिवानी (09 वर्ष) के रूप में हुई हैं।
तीनों गांव के जोगा सिंह की बेटियां थीं। अभी चन्द्र सिंह पुत्र किशन सिंह और हाजिरी देवी पत्नी चंद्र सिंह लापता हैं।
इसके अतिरिक्त अंजलि पुत्री मान सिंह, (16 वर्ष) और दिया पुत्री मान सिंह (15 वर्ष) घायल हुई हैं।
इसके अलावा दूसरे तोक सुवाधार में एक बुजुर्ग महिला व एक युवती भी लापता है। जिनकी खोजबीन में एसडीआरफ की टीम लगी है।
इसी बीच जिलाधिकारी ने बताया कि क्षेत्र के हालात को देखते हुए एससडीआरएफ के साथ ही तमाम राहत दलों को मौके को रवाना कर किया गया है।
उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ने पर जल्दी ही क्षेत्र में हेली ऑपरेशन किया जाएगा।
बताया गया कि धारचूला से सटे नेपाल के श्रीबगड़ इलाके में भी बीती रात बादल फटने का प्रभाव पड़ा है।
जिसके चलते नेपाल में भी 15 से 20 लोगों के लापता होने की खबर है। नेपाल क्षेत्र से आए मलबे और पानी से धारचूला के तपोवन में बने एनएचपीसी कॉलोनी में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं।
नदी के पानी के साथ मलबा कॉलोनी के घरों में घुस गया है, जिससे कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
प्रशासन ने इलाके में रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया गया है। धारचूला के तपोवन में काली नदी में झील भी बन गई है। जिसकी वजह से धारचूला कस्बे को खतरा पैदा हो गया है।