नई दिल्ली: केंद्रीय महकमों में शिक्षा मंत्रालय बेहद महत्वपूर्ण है। नये आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों की संख्या में बढ़ोत्तरी, निजी शिक्षण संस्थान बढ़ने और नीट एवं जेईई जैसी राष्ट्रव्यापी परीक्षाएं शुरू होने के कारण मंत्रालय का महत्व बढ़ा है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि राजनीतिक स्तर पर इस मंत्रालय को ज्यादा तरजीह नहीं दी जा रही है, यही कारण है कि बार-बार शिक्षा मंत्री बदल जाते हैं।
इससे मंत्रालय की गरिमा को चोट पहुंच रही है। एनडीए की पिछली सरकार में भी पहले स्मृति ईरानी और फिर प्रकाश जावड़ेकर को मंत्री बनाया गया था।
इस सरकार में रमेश पोखरियाल निशंक के बाद अब धर्मेंद्र प्रधान को जिम्मा सौंपा गया है।
यदि शिक्षा मंत्रालय का अब तक का इतिहास देखें तो सिर्फ चार मंत्री ही ऐसे हुए हैं जो अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर पाए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा हो या कोई भी मंत्रालय, यदि मंत्री बार-बार बदलते हैं तो ऐसे में नीतियों को कड़ाई से लागू करने में या फिर राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मुश्किल आती है।
इसलिए बेहतर स्थिति यही होती है कि मंत्री को पूरे पांच साल अपने मंत्रालय में काम करने का मौका दिया जाए।
यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि राजनेताओं पर आज भी शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे मुद्दों की अनदेखी के आरोप लगते हैं।
देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद और उसके बाद के एल. श्रीमाली ने अपने कार्यकाल पूरे किये।
इसके बाद 1963 से लेकर 1999 तक जितने भी शिक्षा मंत्री हुए कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया।
1999 में एनडीए सरकार में डा. मुरली मनोहर जोशी और उसके बाद 2004 में यूपीए सरकार में अर्जुन सिंह शिक्षा मंत्री बने और उन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
इसके बाद कपिल सिब्बल, पल्लम राजू आदि मंत्री बने लेकिन किसी को भी पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का अवसर नहीं मिला।
तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों पहले शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। इनमें पीवी नरसिंह राव, वीपी सिंह तथा अटल बिहारी वाजपेई शामिल हैं।
इसके अलावा कर्ण सिंह, फखरुद्दीन अली अहमद, केसी पंत जैसे दिग्गज नेता भी इस महकमे को संभाल चुके हैं। लेकिन पिछले कुछ दशकों में इस महकमे को संभालने का मौका दिग्गज नेताओं को कम ही मिल पाया है।
देश में अब तक 30 शिक्षा मंत्री हो चुके हैं। इनमें पी वी नरसिंह राव, अर्जुन सिंह दो बार रहे हैं। धर्मेन्द्र प्रधान 31वें शिक्षा मंत्री हैं।
आजादी के बाद देश में शिक्षा मंत्रालय बनाया गया था। लेकिन 1985 में राजीव गांधी सरकार में इसका नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय किया गया। जिसे पिछले साल पुन बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया।