चेन्नई: तमिलनाडु सरकार के डायरेक्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ (डीपीएच) ने ब्लैक फंगस के बारे में लोगों की घबराहट और चिंता को दूर करने के लिए एक जागरुकता संबंधी वीडियो जारी किया।
पब्लिक हेल्थ एंड प्रिवेंटिव मेडिसिन के निदेशक डॉ. टीएस सेल्वविनायगम का कहना कि ब्लैक फंगस से संक्रमित हर व्यक्ति को एम्फोटेरिसिन-बी की आवश्यकता नहीं होती है और न ही यह कोई जादुई दवा है।
डॉ. सेल्वाविनायगम ने कहा कि ब्लैक फंगस रोग कोई नया नहीं है। यह कोविड-19 से संक्रमित लोगों को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसके इलाज की व्यवस्था है।
डीपीएच ने कहा कि फंगस संक्रमण तब होता है जब किसी को ऑक्सीजन उपचार या स्टेरॉयड दिया जाता है या वे लंबे समय से बीमार हैं। उ
न्होंने कहा कि यह सच नहीं है कि प्रत्येक कोविड-19 सकारात्मक रोगी को एम्फोटेरिसिन-बी की आवश्यकता हो।
अब तक दर्ज किए गए ब्लैक फंगस के मामलों में से केवल 57 प्रतिशत ही कोविड-19 सकारात्मक थे। उनमें से केवल 36 प्रतिशत ने ऑक्सीजन उपचार प्राप्त किया है, जबकि 42 प्रतिशत ने स्टेरॉयड प्राप्त किया है।
उन्होंने कहा कि विभाग का प्राथमिक उद्देश्य मामलों की पहचान कर इसे चरम तक पहुंचने से पहले ही इसका इलाज करना जरूरी है, अन्यथा आंखों की रोशनी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने ब्लैक फंगस बीमारी को एक महामारी घोषित किया हुआ है। शनिवार तक राज्य में ब्लैक फंगस के 400 मामले सामने आ चुके हैं।