नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को केंद्र पर तंज कसते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ब्लू टिक के लिए लड़ रही है और कोविड-19 रोधी टीके हासिल करने के लिए लोगों को आत्मनिर्भर हो जाने की जरूरत है।
राहुल का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब एक दिन पहले ही ट्विटर ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और मोहन भागवत समेत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शीर्ष पदाधिकारियों के निजी अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया और बाद में हंगामा होने पर इसे बहाल कर दिया।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि ब्लू टिक के लिए मोदी सरकार लड़ रही है…कोविड टीका चाहिए तो आत्मनिर्भर बनो।
एक अन्य ट्वीट में राहुल ने भाषाई आधार पर भेदभाव रोकने को कहा है। दिल्ली सरकार के एक अस्पताल ने नर्सों से ड्यूटी के दौरान मलयालम में बात नहीं करने को कहा।
बाद में इस आदेश को वापस ले लिया गया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि मलयालम भी भारतीय भाषा है। भाषा के आधार पर भेदभाव करना बंद करें।
प्रियंका गांधी ने भी भाषा को लेकर जताई चिंता
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस मामले पर चिंता प्रकट की और गोविंद वल्लभ पंत स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्था
न के आदेश को पोस्ट किया, जिसमें चेताया गया कि केवल हिंदी और अंग्रेजी में बात करें, वरना कार्रवाई की जाएगी।
प्रियंका गांधी ने मलयालम में ट्वीट करते हुए लिखा कि यह आदेश हमारे देश के बुनियादी मूल्यों का उल्लंघन है। यह नस्लवादी, पक्षपातपूर्ण और पूरी तरह गलत है।
साथ ही कहा कि मलयाली नर्सें कोविड-महामारी के समय अपनी जान को खतरे में डालकर लोगों की जान बचाने का काम कर रही हैं। प्रियंका ने कहा कि यह आदेश अपमान है।
हमें उनका आभारी होना चाहिए और सम्मान दिखाना चाहिए। जितनी जल्दी हो इसे (आदेश को) वापस लिया जाना चाहिए और माफी मांगनी चाहिए।
प्रियंका ने एक अन्य ट्वीट में आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली सरकार ने सितंबर 2020 और जनवरी 2021 के दौरान ऑक्सीजन बेड की संख्या 36 फीसदी, आईसीयू बेड की संख्या 46 फीसदी और वेंटिलेटर बेड की संख्या 28 फीसदी घटा दी।