Government rejected the Report related to excess deaths in Corona : देश में कोरोना महामारी के दौरान हुई मौतों को लेकर जर्नल साइंस एडवांसेज (Journal Science Advances) में छपी रिपोर्ट को केन्द्र सरकार ने खारिज करते हुए इसे भ्रामक बताया है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अनुमानों के आधार पर Journal Science Advances में 2020 में कोरोना से अत्यधिक मृत्यु दर को उजागर करने वाली मीडिया रिपोर्ट खामियों से भरी और असंगत तथा अस्पष्ट है।
भारत में 2019 की तुलना में 2020 में 11.9 लाख मौत बताई गई जबकि वास्तविक आंकड़े इससे काफी कम हैं। अध्ययन के निष्कर्षों और स्थापित कोरोना मृत्यु दर पैटर्न के बीच विसंगतियां इसकी विश्वसनीयता को और कमजोर करती हैं।
यह अध्ययन भारत की मजबूत नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) को स्वीकार करने में असफल रहा है, जिसने 2020 में मृत्यु पंजीकरण में पर्याप्त वृद्धि (99 प्रतिशत से अधिक) दर्ज की, जो केवल महामारी के लिए जिम्मेदार नहीं है।
नीति आयोग के सदस्य VK Paul ने अपने एक बयान में बताया कि कोरोना महामारी में 2020 में अत्यधिक मृत्यु दर को दर्शाते हुए अकादमिक जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक पेपर के निष्कर्ष अस्थिर और अस्वीकार्य अनुमानों पर आधारित हैं। जबकि लेखक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 एनएफएचएस-5 के विश्लेषण की मानक पद्धति का पालन करने का दावा करता है, लेकिन उनकी पद्धति में गंभीर खामियां हैं।
उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण गलती यह है कि लेखकों ने जनवरी और अप्रैल 2021 के बीच NFHS सर्वेक्षण में शामिल घरों का एक सैंपल लिया है, 2020 में इन घरों में मृत्यु दर की तुलना 2019 से की है। इसके परिणामों को पूरे देश के लिए लागू कर दिया है।
NFHS नमूना केवल तभी देश का प्रतिनिधि होता है जब इसे समग्र रूप से माना जाता है। इस विश्लेषण में शामिल 14 राज्यों के 23 प्रतिशत परिवारों को देश का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता। यह रिपोर्ट पूर्वाग्रहों से संबंधित है।
VK पॉल ने बताया कि 2019 की तुलना में 2020 में Science Advances Paper में रिपोर्ट की गई लगभग 11.9 लाख मौतों की अधिक मृत्यु दर बताना भ्रामक अनुमान है। महामारी के दौरान अत्यधिक मृत्यु दर का मतलब सभी कारणों से होने वाली मौतों में वृद्धि है, और इसे सीधे तौर पर कोरोना के कारण होने वाली मौतों से नहीं जोड़ा जा सकता है। शोधकर्ताओं द्वारा प्रकाशित अनुमानों की त्रुटिपूर्ण रिपोर्ट की पुष्टि भारत के नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) के आंकड़ों से भी होती है।
SRS देश के 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में फैली 8842 नमूना इकाइयों में 24 लाख घरों की लगभग 84 लाख आबादी को कवर करता है।
जबकि लेखक यह दिखा रहे हैं कि वे बहुत मेहनत कर रहे हैं कि 2018 और 2019 के लिए NFHS विश्लेषण और नमूना पंजीकरण सर्वेक्षण विश्लेषण के परिणाम तुलनीय हैं। वे यह रिपोर्ट करने में पूरी तरह से विफल रहे कि 2020 में SRS डेटा 2019 डेटा की तुलना में बहुत कम है।