नई दिल्ली/बेंगलुरु: लंबी जद्दोजेहद के बाद आखिरकार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को दोपहर में राजभवन जाकर अपना इस्तीफा राज्यपाल थावरचन्द गहलोत को सौंप दिया।
राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। भारतीय जनता पार्टी ने अभी उनके उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा नहीं की है।
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को विधान सौध में अपनी सरकार के दो साल के पूरे होने के एक समारोह में अपने इस्तीफे की घोषणा की।
इस मौके पर भावुक स्वर में उन्होंने कहा कि उन्होंने दुख के साथ नहीं बल्कि खुशी के साथ ऐसा किया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को 75 की उम्र पूरी होने के बावजूद दो साल का और अवसर देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि वे कई बार अग्निपरीक्षा दे चुके हैं।
उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उन्होंने राज्य में वापस रहना पसंद किया था।
उन्होंने मांड्या जिले के बुकानाकेरे के एक गरीब व्यक्ति को मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचाने के लिए भाजपा के प्रति कृतज्ञता जताई।
येदियुरप्पा दोपहर 12.40 पर उपमुख्यमंत्रियों और विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे और उन्होंने राज्यपाल गहलोत को मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया।
इस्तीफा देने के बाद राजभवन के बाहर येदियुरप्पा ने पत्रकारों से वार्ता करते कहा कि उनपर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में भाजपा सरकार के नेतृत्व परिवर्तन की बात काफी समय से चल रही थी। राज्य में कुछ बगावती स्वर भी फूटे थे।
इसके बाद भाजपा हाईकमान ने उम्र सीमा को आधार बनाते हुए येदियुरप्पा को इस्तीफा देने के लिए कहा था।
अब सबसे बड़ा सवाल है कि भाजपा राज्य में उनका किसे उत्तराधिकारी बनाती है।
इसी बीच रविवार को लिंगायत समुदाय के मठाधीशों ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाने का विरोध किया था।
ऐसे में लिंगायत समुदाय भाजपा का विरोध कर सकता है। राजनीतिज्ञों का मानना है कि येदियुरप्पा अपने बेटे विजयेन्द्र को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं।