नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कोविड-19 टीके की बूस्टर डोज देने को लेकर बहस छिड़ गई है।
इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अधोनम गेब्रेयेसस ने सितंबर तक बूस्टर डोज पर रोक लगाने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि इससे दुनिया के हर देश की कम से कम 10 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण हो जाएगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अमीर देशों और गरीब देशों में टीकाकरण के प्रतिशत में जमीन आसमान का अंतर है। इस अंतर को पाटने के लिए बूस्टर डोज पर रोक लगाना जरूरी है।
उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीन की दो डोज ले चुके लोगों को बूस्टर डोज देने से संक्रमण के प्रसार में कमी आएगी यह बात अभी तक साबित नहीं हुई है।
इजरायल, फ्रांस, जर्मनी, मध्य एशिया के कुछ देशों में बूस्टर डोज देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
जर्मनी ने कहा कि वह सितंबर से कोरोना संक्रमण की चपेट में आसानी से आ जाने वाले मामलों में बूस्टर शॉट दिए जाने का विकल्प देगा।
वहीं, संयुक्त अरब अमीरात ने भी लोगों को बूस्टर डोज देने की का विकल्प दिया है। पिछले हफ्ते इजरायल के राष्ट्रपति इसाक हरजोग ने वैक्सीन की तीसरी डोज ली थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अधोनम गेब्रेयेसस की अपील के बावजूद अमेरिका और ब्रिटेन बूस्टर डोज देने पर अड़ा है।
डेल्टा वेरिएंट के खतरे को देखते हुए दोनों देश तीसरी डोज लगाने की तैयारी में है।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका ने किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक खुराक दान की है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि हमारे पास अब इतने टीके हैं कि सभी अमेरिकियों का टीकाकरण हो जाएगा।
अमीर देशों और गरीब देशों में टीकाकरण के प्रतिशत में जमीन आसमान का अंतर है।
इस प्रतिशत को कम करने के लिए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने टीके की बूस्टर डोज पर रोक लगाने की अपील की है।
गेब्रेयेसस ने कहा कि अमीर देशों में प्रति 100 लोगों को अब तक टीके की करीब 100 खुराक दी जा चुकी है, जबकि टीके की आपूर्ति के अभाव में गरीब देशों में प्रति 100 व्यक्तियों पर सिर्फ 1.5 खुराक दी जा सकी है।
उन्होंने कहा कि हमें टीकों का बड़ा हिस्सा अधिक आय वाले देशों में जाने देने की नीति को फौरन बदलने की जरूरत है।